धरती मां को बचाना है, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करो लेकिन शोषण नहींः मनोहर लाल
चंडीगढ़। हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति का अग्रदूत रहा हरियाणा अब जल संकट से निपटने के लिए जल क्रांति की ओर कदम बढ़ा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को राज्य की द्विवार्षिक एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना (2023-25) का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है, जब इतने बड़े स्तर पर जल संसाधन के लिए कार्य योजना का अनावरण किया गया है। इसमें पानी की कमी और जलभराव की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए सभी संबंधित विभागों द्वारा बनाई गई ब्लॉक स्तरीय कार्य योजनाएं शामिल हैं।
एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना का लक्ष्य पानी की बचत करके दो वर्षों की अवधि में पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को 49.7 प्रतिशत तक पूरा करना है। पहले वर्ष में कुल 22 प्रतिशत पानी और दूसरे वर्ष में 27.7 प्रतिशत पानी बचाना है। यह कदम पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य में कुल पानी की उपलब्धता 20,93,598 करोड़ लीटर है, जबकि पानी की कुल मांग 34,96,276 करोड़ लीटर है, जिससे पानी का अंतर 14 लाख करोड़ लीटर है। इस कार्य योजना से अगले दो वर्षों में पानी की बचत करने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में 26 और 27 अप्रैल 2023 को दो दिवसीय जल सम्मेलन किया गया था। इसमें प्रशासनिक सचिवों और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया था। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य गिरते भूजल स्तर के मद्देनजर एक एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन रणनीति और दृष्टिकोण पर चर्चा करना था। विभागों ने जिला समितियों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के इनपुट के आधार पर मांग और आपूर्ति की योजना प्रस्तुत की, परिणामस्वरूप आज की कार्य योजना तैयार की गई। प्राकृतिक संसाधनों के उपयुक्त उपयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री भावुक हो गए।
उन्होंने कहा कि बेटियों ने हमें आवाज़ दी कि हमें गर्भ में मत मारो तो हमने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया। आज धरती माँ हमें पुकार रही है, तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करें, लेकिन किसी भी कीमत पर उनका शोषण न करें। किसानों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि धरती माँ का शोषण न हो, इसके लिए हम सभी को काम करना होगा।
उन्होंने कहाकि पंचतत्वों को यदि हम देखें तो उसका मतलब भगवान बनता है। भू यानी भूमि (पृथ्वी), ग यानी गगन, अ यानी अग्नि, वा यानी वायु और न यानी नीर या जल होता है। इसलिए हमें अपने बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। मुख्यमंत्री ने एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना तैयार करने में सभी संबंधित विभागों के समर्पित प्रयासों की भी सराहना की।
रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर देना होगा ध्यानः
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम जल प्रबंधन और संरक्षण की ओर बढ़ते हैं तो रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर हमें फोकस करना होगा। पानी का पुन: उपयोग करके फ्रेश वॉटर पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना जैसी नई पहल की है। उन्होंने राज्य के किसानों का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने 1.5 लाख एकड़ भूमि पर धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती की। इसके अलावा, अब किसान धान की सीधी बिजाई पद्धति की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे पानी की बचत होगी।
कार्यक्रम में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए के सिंह, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह और सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।