तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को अपनी घोषणा में जिस समिति का वादा किया था, उसकी आखिरकार घोषणा कर दी गई है। सरकार द्वारा 12 जुलाई को गठित इस कमेटी की अधिसूचना 18 जुलाई को सार्वजनिक हो गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार द्वारा गठित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समिति पर सवाल उठाए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं। मोर्चा ने कहा कि समिति के एजेंडे में एमएसपी पर कानून बनाने का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन कृषि कानूनों का समर्थन करने वालों को समिति में शामिल किया गया है। किसानों को कमजोर करने की कोशिश की गई है।
किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि हमने संयुक्त किसान मोर्चा के गैर-राजनीतिक नेताओं की एक बैठक की। सभी नेताओं ने सरकार के पैनल को खारिज कर दिया। सरकार ने तथाकथित किसान नेताओं को पैनल में शामिल किया है, जिनका तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हमारे आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था।
कोहर ने कहा कि सरकार ने कुछ कॉरपोरेट लोगों को भी एमएसपी पैनल का सदस्य बनाया है। एसकेएम शाम को अपने रुख पर विस्तृत बयान जारी करेगा। पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था।
यूनाइटेड किसान मोर्चा ने कहा कि उन्होंने केवल एमएसपी के आधार पर कमेटी बनाने की मांग की थी। समिति में पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं होने पर भी सवाल उठाए गए हैं। स्वामीनाथन की तरह, यह एक कागजी समिति बनी रहेगी। तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को अपनी घोषणा में जिस समिति का वादा किया था, उसकी आखिरकार घोषणा कर दी गई है। सरकार द्वारा 12 जुलाई को गठित इस कमेटी की अधिसूचना 18 जुलाई को सार्वजनिक हो गई है। पैनल में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सीएससी शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल होंगे।
राघव चड्ढा ने दाखिल किया सस्पेंशन लेटर
वहीं पंजाब को एमएसपी कमेटी से बाहर रखने पर राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में सस्पेंशन लेटर दाखिल किया है। चड्ढा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा गठित एमएसपी समिति में भाजपा समर्थक और तीन काले कानूनों के समर्थक शामिल हैं। भारत का अन्न का कटोरा कहे जाने वाले पंजाब को इस समिति में सरकारी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। न्यूनतम एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर सरकार गंभीर नहीं है।