अवैध खनन के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में बढ़े खतरे को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है। सरहद के पांच किलोमीटर क्षेत्र में खनन को प्रतिबंधित करने की दिशा में काम किया जा रहा है। इसके लिए सभी हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को हाईकोर्ट में दी गई है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर इस दिशा में विस्तृत जानकारी सौंपने का केंद्र सरकार को आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि पंजाब सरकार को कई बार सीमा पर अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए उनकी ओर से कहा गया लेकिन इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ। बीएसएफ, सेना व केंद्र सरकार अवैध खनन और इसके जरिए सीमा क्षेत्र में होने वाली अवैध गतिविधियों को रोकने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। अब सीमा के पांच किलोमीटर क्षेत्र में खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की तैयारी है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के इस कदम की तारीफ की और कहा कि अगर ऐसा हुआ तो सीमा पर अवैध गतिविधयों पर रोक लगाई जा सकेगी।
सीमा क्षेत्र पर हो रहे खनन कार्य में संदिग्ध लोगों के शामिल होने की दलील
सुनवाई के दौरान याची पक्ष ने कहा कि सीमा पर होने वाले खनन कार्य में श्रमिकों में संदिग्ध लोगों की संख्या बहुत अधिक है। ये अवैध गतिविधयों को अंजाम देते हैं लेकिन पंजाब सरकार इनकी धरपकड़ के प्रति गंभीर नहीं है। पंजाब सरकार ने इसका विरोध किया और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल लोगों की जानकारी मांगी। याची ने कहा कि अगर उन्हें सुरक्षा दी जाए तो ऐसे लोगों से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर वह सौंपने को तैयार है।
बीएसएफ व सेना उठा चुकी है सवाल
बीएसएफ और सेना इससे पहले हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कह चुकी है कि अवैध खनन के चलते सीमा के आसपास गढ्ढे बन गए हैं। इन गड्ढों के चलते रावी नदी अपनी दिशा बदल रही है। ऐसा होने से सीमा पर की गई तारबंदी के लिए बड़ा खतरा पैदा हो रहा है। ये गड्ढे आतंकवादियों व असामाजिक तत्वों के पनाहगार साबित हो रहे हैं। खनन दिन-रात होने के चलते हर तरफ शोर रहता है और इसका फायदा उठा कर ड्रोन सीमा सीमा पर करवाए जाते हैं और इनसे नशा और हथियार भारत भेजे जाते हैं।