
एक तरफ आप सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए मोहल्ला क्लीनिक खोल रही है तो दूसरी तरफ होम्योपैथिक डिस्पेंसरी स्टाफ की कमी के कारण बुरी तरह से जूझ रही है.
50 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं
राज्य में 217 होम्योपैथिक औषधालय हैं। जबकि 110 राज्य सरकार के अधीन हैं, 107 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्य करते हैं
जिला होम्योपैथिक अधिकारियों के 23 पदों में से केवल छह भरे जा चुके हैं और होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के 89 पदों में से 50 प्रतिशत रिक्त पड़े हैं.
राज्य में कुल 217 होम्योपैथिक औषधालय हैं, जो 1976 से जनता की सेवा कर रहे हैं। इनमें से 110 राज्य सरकार के अधीन हैं जबकि 107 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्य करते हैं।
जिला होम्योपैथिक अधिकारी (नियमित) के 23 पदों में से केवल छह भरे गए हैं और होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के 89 पदों में से 50 प्रतिशत रिक्त हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधीन संचालित औषधालयों में होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के 99 पद हैं तथा 12 पद रिक्त हैं।
होम्योपैथिक डिस्पेंसर के 110 पदों में से मात्र 47 ही भरे गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित डिस्पेंसरियों में 107 में से 86 पद भरे जा चुके हैं। इसी तरह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 98 पदों में से 64 पद रिक्त हैं।
होम्योपैथिक मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रमुख डॉ बलविंदर कुमार ने कहा, "जबकि सरकार दवाओं के अन्य रूपों को बढ़ावा दे रही है, होम्योपैथिक डिस्पेंसरी को नजरअंदाज कर दिया गया है। काफी पद खाली पड़े हैं। हमने सरकार से नियमित अंतराल पर पदों को भरने का अनुरोध किया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।”
उन्होंने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी के कारण डॉक्टर खुद डिस्पेंसर की ड्यूटी निभा रहे हैं और अपनी जेब से डिस्पेंसरियों की सफाई करवा रहे हैं।
एक होम्योपैथिक चिकित्सक ने कहा, "चिकित्सा के पारंपरिक रूप को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। स्टाफ की कमी के कारण हम आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। डॉक्टरों को हर हफ्ते कई डिस्पेंसरियों में जाने के लिए कहा गया है।”