पंजाब

ठेकों पर सस्ती हुई शराब : जानलेवा, मिलावटी, देसी शराब के धंधे ने पकड़ा जोर

Shantanu Roy
1 Aug 2022 4:15 PM GMT
ठेकों पर सस्ती हुई शराब : जानलेवा, मिलावटी, देसी शराब के धंधे ने पकड़ा जोर
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बड़ी खबर

जालंधर। आम आदमी पार्टी द्वारा ठेकों में शराब सस्ती किए जाने का असर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है, जिससे अवैध शराब बेचने वालों के लिए कई तरह की परेशानियां खड़ी हो गई हैं क्योंकि उन्हें ठेके से कम दामों पर आसानी से शराब उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इसके चलते जानलेवा मिलावटी शराब व देसी शराब (लाहन) के धंधे ने जोर पकड़ लिया है। महानगर में अब लाहन की बिक्री होनी शुरू हो गई है। ठेकों पर शराब भले ही सस्ती हो गई है लेकिन इसके बावजूद लोग पैसे बचाने के चक्कर में जानलेवा मिलावटी शराब खरीदने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।

वहीं, देसी शराब की बिक्री भी महानगर में तेजी से हो रही है जोकि नुक्सानदेह है क्योंकि इसकी कोई डिग्री व मापदंड नहीं होते। यह शराब अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। एक्साइज विभाग ने ऐसी जानकारियों के बाद अपनी कार्रवाई में तेजी लानी शुरू कर दी है।
इसी क्रम में जालंधर वैस्ट द्वारा सतलुज दरिया के पास लगते गांवों नकोदर, नूरमहल, शाहकोट व आसपास के इलाकों में 1 लाख लीटर देसी शराब (लाहन) बरामद करके उसे नष्ट करवाया गया है व शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को अपने कब्जे में लेकर अगली कार्रवाई शुरू कर दी गई है जिसमें आने वाले समय में कई अहम तथ्यों का खुलासा होने की संभावना है।
आंकड़ों के मुताबिक विभाग द्वारा 20 जुलाई को नकोदर-नूरमहल सर्कल के अधीन पड़ते गांव वीरान, बुटी दियान चन्ना, भौंडे, चाचोवाल, बिल्ली चाचों आदि में 2 कार्रवाइयों को अंजाम दिया गया इसमें एक स्थान से 43,000 लीटर जबकि दूसरे स्थान से 870 लीटर देसी शराब बरामद की गई।
बीते रोज इन्हीं इलाकों में हुई 2 अलग-अलग स्थानों की कार्रवाई के दौरान 63000 लीटर शराब बरामद की गई है। इसी तरह शाहकोट के रामपुर, बायोपुर व थम्मोवाल इलाके से 11,000 लीटर शराब की बरामदगी की गई। पिछले दिनों के दौरान बरामद की गई देसी शराब (लाहन) की कुल संख्या 1.06 लाख लीटर से अधिक बनती है।
जमीन में छुपाने के स्थान पर पानी में हो रही स्टोरेज
आमतौर पर देसी शराब बनाने वाले लोग शराब के ड्रमों को गड्ढा खोद कर इसमें छिपा लेते थे लेकिन एक्साइज विभाग को इस बारे में सूचनाएं मिलने के बाद शराब बनाने वालों ने अपने कामकाज के ढंग में बदलाव किया है। पिछले महीनों के दौरान देखने में आया है कि शराब को तिरपाल की मोटे बैग में छुपाकर पानी में डुबो दिया जाता है व इसके साथ एक बांस गाड़ दिया जाता है जिससे तिरपाल बंधी होती है। शराब बनाने का काम मुख्य तौर पर उन स्थानों पर किया जाता है जहां पर आसापास खेत न हों व लोगों का आना-जाना भी न हो। बरामद की गई 1.06 लाख शराब की बरामदगी पानी से हुई है जिससे विभाग चौकन्ना हो चुका है।
खुफिया टीमें सादे कपड़ों में गांवों से जुटा रही जानकारियां : एक्साइज डिप्टी कमिश्नर
जालंधर जोन के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर राजपाल सिंह खैहरा का कहना है कि देसी शराब (लाहन) की तस्करी करके लोगों को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है क्योंकि यह शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। विभाग द्वारा विभिन्न टीमों को सतलुज के सरहदी गांवों में ग्राहक बनाकर भेजा जा रहा है व जानकारियां जुटाई जा रही हैं। टीम के व्यक्ति गांववासियों की वेशभूषा में भेजे जा रहे हैं ताकि उन पर कोई शक न हो व विभाग को लाहन बनाने वाले स्थानों का पता चल सके।
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