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नेताओं की एक-दूसरे पर बयानबाजी तेज

Admin4
19 Aug 2022 11:20 AM GMT
नेताओं की एक-दूसरे पर बयानबाजी तेज
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

अब रेवाड़ी विधायक चिरंजीव राव और पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव ने भी मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर तंज कसे हैं। वहीं भाजपा के प्रत्याशी रहे सुनील मूसेपुर ने पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव व पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास पर जमकर पलटवार किया है।

केंद्रीय मंत्री के राव इंद्रजीत के जयचंद वाले बयान पर सियासत तेज हो गई है। हरको बैंक के चेयरमैन अरविंद यादव, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव और पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास के बाद गुरुवार को अब रेवाड़ी विधायक चिरंजीव राव और पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव ने भी राव के खिलाफ तंज कसे हैं। वहीं राव के समर्थन में प्रेसवार्ता करते हुए भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सुनील यादव मूसेपुर ने उन्हें करारा जवाब दिया है।

क्षेत्र की दुर्दशा के जिम्मेदार सिर्फ कैप्टन परिवार : सुनील

गुरुवार को भाजपा के रेवाड़ी से प्रत्याशी रहे सुनील मूसेपुर ने पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव व पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास पर जमकर पलटवार करते हुए कहा कि कैप्टन अजय सिंह यादव ने हमेशा स्वार्थ की राजनीति की है। 50 वर्षों तक कैप्टन परिवार ने शहर पर राज किया, लेकिन शहर में विकास कार्य नहीं करा पाए। इस क्षेत्र की दुर्दशा के जिम्मेदार सिर्फ कैप्टन अजय सिंह यादव का परिवार है।

उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, सतीश यादव सहित कुछ लोग हैं, जो कैप्टन के कहने पर वोट काटने के लिए खड़े होते हैं। ये नेता वोट कटवा कर 25 प्रतिशत वोट लेकर जीत हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि विधायक चिरंजीव राव के चुनाव जीतते ही वह पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास को सबसे पहले मिठाई खिलाने पहुंचे थे। ये वोट कटवा नेताओं ने शहर का पूरी तरह से नास करके रख दिया। सुनील ने कहा जनता के विकास का पैसा कैप्टन परिवार के विकास में लग रहा है। कैप्टन व कापड़ीवास दोनों रिश्तेदार आपस में मिलकर चुनाव लड़ते हैं।

चुनाव के समय में जनता को बर्गलाने का काम करते हैं केंद्रीय मंत्री : विधायक चिरंजीव

अहीरवाल में चल रही सियासत पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए पर रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव ने कहा कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की आदत खराब हो चुकी है। वह चुनाव के समय में इलाके में चौधर इत्यादि की बात करके जनता की भावनाओं के साथ खेलकर वोट हथियाने का तरीका अपनाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी बेटी आरती राव की टिकट कटने का उनको बहुत बड़ा दुख है।

साथ ही रेवाड़ी में हारने का भी उनको बहुत दुख है, लेकिन जनता के दुख दर्द उनके लिए कोई महत्व नहीं रखते। पूरा विश्व कोविड की महामारी से जूझ रहा था, दक्षिणी हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव था। रेवाड़ी में कई लोगों की जाने गई। ऑक्सीजन की कमी थी। वेंटिलेटर नहीं थे। लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे। उस समय राव इंद्रजीत सिंह कहां थे? तब उनको कोई दुख दर्द नहीं हुआ।

यदि उनको उस समय दर्द होता तो वे अपने महलों से निकलकर जनता के बीच रहते। उन्होंने जनता की सुनी हुई होती तो आज जनता उनकी सुन रही होती। मैं तो जनता से अपील करता हूं कि जनता ऐसे नेताओं को पहचाने जो सिर्फ चुनाव के समय में नजर आते हैं।

उन्होंने कहा राव इंद्रजीत सिंह को भाजपा में कम तवज्जो मिल रही है। पिछले चुनाव में उनकी बेटी की टिकट काटी उसके बाद भूपेंद्र यादव को केंद्रीय मंत्री बना दिया और अब पूर्व सांसद सुधा यादव को केंद्रीय संसदीय कमेटी में लेना राव इंद्रजीत सिंह को पच नहीं रहा है।

जनता को गुमराह कर रहे हैं राव इंद्रजीत : सतीश यादव

पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव ने कहा कि राव इंद्रजीत सिंह क्षेत्र के बड़े नुमाइंदे हैं । वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए लगातार दो योजना से केंद्र में मंत्री भी बने हुए हैं। केंद्र में मंत्री और राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे समय में दोनों जगह सरकारें होने के बावजूद राव इंद्रजीत सिंह को अहीरवाल की जनता से ताकत मांग कर जनता को गुमराह कर रहे हैं, जबकि इसके पीछे का मकसद यह है कि वह अपनी बेटी को टिकट दिलवाने के लिए भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाने की राजनीति कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल के इतने हितैषी हैं तो उनको अपनी बेटी का मोह छोड़कर अहीरवाल के अन्य नेताओं को भी एकजुट करने की बात करनी चाहिए, न कि 'जयचंद' जैसे शब्द इस्तेमाल करके द्वेष पैदा करने का काम करना चाहिए। इस तरह की ओछी शब्दावली मंत्री के लिए शोभा नहीं देती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने उनका टिकट काटने की बात कहकर उनको घर बैठाने का काम कर दिया है। अब मंत्री का फर्ज बनता है कि वह क्षेत्र के अन्य युवाओं को दिशा निर्देश देते हुए राजनिति में आगे लाने का मौका देने का काम करें न कि अपनी बेटी को टिकट दिलवाने की बात करें।

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