पंजाब

जानें बाकी जिलों का हाल, लंपी की चपेट में पंजाब, बठिंडा में 48 पशुओं की मौत

Admin4
7 Aug 2022 11:23 AM GMT
जानें बाकी जिलों का हाल, लंपी की चपेट में पंजाब, बठिंडा में 48 पशुओं की मौत
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

पशु पालन विभाग के विशेषज्ञों ने पशुपालकों से आग्रह किया है कि वे अपने पशुओं को तूड़ी न खिलाएं बल्कि ताजा हरा चारा खिलाएं जिस से पशु तंदुरुस्त तो होगा ही साथ में वह इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकेगा।

पंजाब में पशुओं में तेजी से फैल रही लंपी त्वचा रोग से बठिंडा में अब तक 48 पशुओं की मौत हो चुकी है, जबकि 2400 से अधिक पशु इस बीमारी से पीड़ित हैं। इनका पशुपालन विभाग की ओर से उपचार किया जा रहा है। विभाग ने पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए अपने विभाग की 51 टीमों को जिले भर में उतार दिया है। पशुओं में लंपी बीमारी मक्खी, मच्छर और चिचड़ से बड़ी तेजी के साथ फैल रही है।

पशुपालन विभाग के डायरेक्टर राजदीप सिंह ने बताया कि पशुओं में फैल रही लंपी बीमारी एक वायरल है, जो आम ही पशुओं को हो रही है। इसके लिए विभाग ने जिले में अपने 51 डॉक्टरों को अलग-अलग एरिया टीमें बनाकर भेज दिया जो पशुओं की जांच कर रहे हैं। पशुओं में उक्त बीमारी के होने का सबसे बड़ा कारण मक्खी, मच्छर और चिचड़ है, जिनसे पशु जल्दी इस बीमारी की चपेट में आता है।

डायरेक्टर ने बताया कि अब तक जिले में लंपी बीमारी से 48 पशुओं की मौत हो चुकी है और 2400 से अधिक पशु इस बीमारी की चपेट में हैं, जिनका उपचार पशुपालन विभाग के डॉक्टरों की ओर से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी पशुपालक को अगर पशु में इस बीमारी के बारे में पता चलें तो वह तुरंत उस पशु को अपने बाकी पशुओं से अलग कर दे, जिससे बाकी पशुओं को उक्त बीमारी से बचाया जा सके। यह बीमारी सबसे पहले मौड़ मंडी एरिया में फैली थी, लेकिन अब वहां पर कंट्रोल हो रहा और धीरे-धीरे स्थिति ठीक हो रही है।

भुच्चो खुर्द गांव में गरीब मजदूर के पशु की लंपी से मौत

गांव भुच्चो खुर्द के रहने वाले मजदूर हरविंदर सिंह के एक पशु की लंपी बीमारी से मौत हो गई, जिससे उसकी आमदन का जरिया घट गया। हरविंदर ने बताया कि वह दिन के समय मजदूरी करता और शाम को अपने पशु का दूध बेचकर अपने परिवार का पेट पालता था। लंपी बीमारी की चपेट में आने के कारण उसके पशु की मौत हो गई, जिससे उसे बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ है। मजदूर ने जिला प्रशासन और सरकार से मांग की कि लंपी बीमारी से जान गंवाने वाले पशुओं के पालकों को आर्थिक तौर पर सहायता की जाए।

अमृतसर: 2010 पशु प्रभावित, दो की हुई मौत

लंपी संक्रमण अब अमृतसर भी पहुंच गया है। इस बीमारी से प्रभावित 2010 पशु सरकारी तौर पर रिपोर्ट में दर्ज किए गए हैं। लंपी भैंसों के मुकाबले गायों को अधिक प्रभावित कर रही है। अमृतसर में इस बीमारी से प्रभावित 2010 पशुओं में से दो की शनिवार तक मौत हो गई है। पंजाब में इस बीमारी से अन्य पशुओं को बचाने के लिए वैक्सीन पहुंच गई है। अमृतसर में भी सोमवार से टीकाकरण होगा।

कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने राज्य सरकार की ओर से जानवरों के तुरंत इलाज के लिए 76 लाख रुपये की राशि जारी करवा दी है। लंपी के पंजाब पहुंचने के बाद सरकार ने सीमा क्षेत्रों के हर जिले को पांच-पांच लाख रुपये और अन्य जिलों के लिए तीन-तीन लाख रुपये जारी किए हैं।

पशु रोग विशेषज्ञ व अमृतसर के पशु अस्पताल के प्रभारी डॉ. जसप्रीत नागपाल ने बताया कि इस वायरस की तीन प्रजातियां हैं। पहली प्रजाति कैप्री पॉक्स वायरस, दूसरी गोट पॉक्स और तीसरी शीप पॉक्स वायरस है। इसमें पशुओं को बुखार आता है साथ ही वजन कम होना, लार निकलना, आंख-नाक का बहना, दूध कम होना आदि लक्षण हैं। खालसा कॉलेज वेटरिनरी साइंस के प्रिंसिपल डॉ. सतीश वर्मा ने बताया कि इस बीमारी से पशुओं की मृत्यु दर 15 प्रतिशत है। लंबी वायरस का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है।

फिरोजपुर : 175 गायें प्रभावित

फिरोजपुर के जलालाबाद में लंपी संक्रमण के केस लगातार बढ़ रहे हैं। स्थानीय गोशाला में 900 गायों में से 175 इससे पीड़ित हैं। घुबाया पशु अस्पताल के डॉ. राज सिंह ने बताया कि यह एक वायरस है। जैसे मनुष्यों में चिकन पॉक्स के मामले सामने आए थे वैसे ही गायों में बीमारी देखने को मिल रही है।

प्रभावित गांवों की मृत्यु दर एक से दो प्रतिशत है और 40 प्रतिशत तक गायें बीमार हो रही हैं। इस बीमारी की अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। गायों के उपचार के लिए एंटीबायोटिक एंटी एलर्जिक दवाएं इस्तेमाल हो रही हैं। लंपी का सबसे पहले मामला 1929 में जांबिया अफ्रीका में सामने आया था। भारत में सबसे पहले 2019 में उड़ीसा में इसका मामला देखने को मिला था। 2022 में यूपी और राजस्थान में इसके मामले सामने आए थे। 2022 में ये बीमारी मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान से होती हुई पंजाब में दाखिल हुई है।

गुरदासपुर : 350 पशु लंपी का शिकार, 122 हुए ठीक

गुरदासपुर में करीब 350 पशु लंपी रोग से प्रभावित हुए थे, जिसमें से 122 पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। पशुओं के ठीक होने की दर भी काफी अच्छी है। उक्त जानकारी पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. शाम सिंह ने दी।

डॉ. सिंह ने बताया कि लंपी के मामले सामने आने के बाद पशुपालकों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। विभाग की अलग-अलग टीमें साहोवाल, गाजीकोट और कलानोर आदि गांवों का दौरा कर पशुपालकों को जागरूक कर रही हैं।

डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि पंजाब सरकार की ओर से जिले में दवा आदि की खरीद के लिए 5 लाख रुपये भेजे जा चुके हैं। इस बीमारी में तेज बुखार, मुंह और त्वचा पर छाले पड़ जाते हैं। यदि पशुओं में इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें अन्य पशुओं से अलग रख दें।

जालंधर : 2700 गायों में लक्षण, अब तक 15 की हो चुकी है मौत

जालंधर में करीब 2700 गायों में लंपी के लक्षण मिले हैं। विभाग ने दिशा निर्देश जारी कर टीमों को आने के लिए कहा है। लंपी के आते ही जालंधर में शनिवार को एक गाय की मौत हुई और अब तक 15 की जान जा चुकी हैं। इनमें लंपी के लक्षण पाए गए थे, ये बातें एनिमल हसब्रेंड्री के ज्वाइंट डायरेक्टर राम मित्तल ने कहीं। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि हालात काबू में है।

इस बीमारी से दूध पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन दूध को उबाल कर ही पीएं। पशुओं को मक्खी, मच्छर और कीचड़ से बचा कर रखें। जो पशु संक्रमित हैं उन्हें अन्यों से अलग रखें। ये एक वायरल बीमारी है जो पंजाब में पहली बार देखने को मिली है। ज्वाइंट डायरेक्टर मित्तल ने कहा कि जब तक बीमारी ठीक नहीं होती तब तक पशुओं की खरीद फरोख्त बंद कर दें।

कपूरथला : 496 पशु प्रभावित, 136 हुए ठीक

कपूरथला में लंपी त्वचा रोग से 496 दुधारू पशु प्रभावित हैं। इनमें से 136 पशु ठीक हो चुके हैं। जिले में इस बीमारी से किसी भी पशु की मौत नहीं हुई है। पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. गुरशरणजीत सिंह बेदी ने दुग्ध उत्पादकों व किसानों से अपील की है कि पशुओं इस बीमारी के लक्षण दिखते ही नजदीकी पशु पालन विभाग से संपर्क करें। लक्षण दिखने वाले पशुओं को अन्यों से अलग कर उन्हें मच्छर-मक्खी से बचाएं।

मुक्तसर : एक हजार पशु लंपी से ग्रसित

मुक्तसर में शनिवार को लंपी स्किन डिजीज के 203 नए केस सामने आए हैं, जिनमें से नौ पशुओं की मौत हो गई है। पशुओं में लंपी स्किन के मामले सामने आने से पशु पालन विभाग भी चिंतित है और जिले में जागरूकता शिविर लगाने की मुहिम शुरू हो गई है। बता दें कि जिले में करीब एक हजार पशु लंपी से ग्रस्त हैं।

डिप्टी कमिश्नर विनीत कुमार के निर्देशों पर पशु पालन विभाग की ओर से 92 गांवों में शिविर लगाकर लोगों की जानकारी दी गई है। पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. गुरदास सिंह और सीनियर वेटरिनरी अफसर डॉ. गुरदित्त सिंह औलख ने बताया कि बाकी रहते गांवों में भी जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे।

लंपी की चपेट में आया सुनाम

पशुओं में फैल रही लंपी बीमारी ने सुनाम इलाके में अपने पांव पसार लिए हैं। अधिकांश पशु खासतौर पर गाय व बैल इसकी चपेट में आ रहे हैं। कमजोर इम्यूनिटी वाली भैंसों को भी उक्त बीमारी जकड़ रही है। हालात इतने बदतर हो रहे हैं कि इलाज करवाने में असमर्थ कई पशुपालक तो अपने पशुओं को छोड़ने के लिए विवश हो रहे हैं। इससे बीमारी के ज्यादा फैलने का खतरा बन रहा है।

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के जिला महासचिव दरबारा सिंह ने बताया कि पशुपालकों के हालात बहुत नाजुक हैं। पशुपालन से किसानों को थोड़ी आर्थिक राहत मिल रही थी लेकिन इस बीमारी ने किसानों को मुसीबत में डाल दिया है। उन्होंने सरकार से मांग की कि तुरंत ही दवाओं का प्रबंध करके गांवों में पशु डॉक्टर की टीमों को भेजा जाए। सरकार इस मामले में गंभीर दिखाई नहीं दे रही है। यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो भारी नुकसान होने की आशंका है। गाय और बैल को बुखार और चमड़ी पर फोड़े हो रहे हैं, कई पशुओं की जान जा चुकी है। भाकियू सिद्धूपुरा के रणसिंह ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को तुरंत इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए।


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