न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
इकबाल सिंह लालपुरा 1978 में निरंकारियों से हुए टकराव में भी जांच अधिकारी रहे हैं। आतंकवाद के दौर में बंदूक थामने वाले युवाओं को मुख्यधारा में लाने में भी लालपुरा ने बड़ी भूमिका निभाई। लालपुरा ने आईपीएस बनने तक का सफर एनजीओ रैंक से शुरू किया था।
भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को नए संसदीय बोर्ड का एलान किया है। बोर्ड में पंजाब से इकबाल सिंह लालपुरा को शामिल किया गया है। लालपुरा इस वक्त राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि वरिष्ठ भाजपा नेता व मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को इस बार संसदीय बोर्ड में जगह नहीं मिली है। आइए जानें- कौन हैं इकबाल सिंह लालपुरा... जिन्हें संसदीय बोर्ड में मिली जगह।
इकबाल सिंह लालपुरा पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। केंद्र सरकार ने लालपुरा को इसी साल अप्रैल में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का दोबारा अध्यक्ष नियुक्त किया था। वे तीन साल तक इस पद पर रहेंगे। इससे पहले केंद्र ने 2021 में यह जिम्मेदारी सौंपी थी। बता दें कि देश के पांच समुदायों को अल्पसंख्यक दिखाया गया है। इनमें सिख, ईसाई, बौद्ध, मुस्लिम और पारसी शामिल हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर इन्हीं समुदाय के लोगों को वरीयता दी जाती है। इकबाल सिंह लालपुरा का संबंध सिख समुदाय से है।
इकबाल सिंह लालपुरा पंजाब के रोपड़ (रूपनगर) के रहने वाले हैं। उन्होंने 1981 में अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरांवाला को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। लालपुरा उस समय इंस्पेक्टर पद पर तैनात थे। भिंडरांवाला की गिरफ्तारी के लिए बनाए गए पैनल में दो अन्य अधिकारियों में जरनैल सिंह चाहल और तत्कालीन एसडीएम बीएस भुल्लर भी शामिल थे।
ये उपलब्धियां रहीं नाम
इकबाल सिंह लालपुरा 1978 में निरंकारियों से हुए टकराव में भी जांच अधिकारी रहे हैं। आतंकवाद के दौर में बंदूक थामने वाले युवाओं को मुख्यधारा में लाने में भी लालपुरा ने बड़ी भूमिका निभाई। लालपुरा ने आईपीएस बनने तक का सफर एनजीओ रैंक से शुरू किया था।