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चंडीगढ़ : मुख्य सचिव विजय कुमार जंजूआ ने आज राज्य के डिप्टी कमिश्नरों को माइनिंग के संभावी स्थानों सम्बन्धी जि़ला सर्वेक्षण रिपोर्टों को तुरंत मुकम्मल करने की हिदायत दी।
समूह डिप्टी कमिश्नरों के साथ वीडियो कांफ्रैंसिंग के दौरान मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में अब तक माइनिंग के लिए 858 संभावित स्थानों की शिनाख्त की गई है और इन स्थानों को पुख्ता करने के लिए सब-डिवीजऩल मूल्यांकन कमेटियों द्वारा दौरा करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि जि़ला प्रशासन द्वारा 542 स्थानों का मूल्यांकन तो कर लिया गया है परन्तु 316 स्थान अभी भी बाकी हैं। इसलिए सम्बन्धित डिप्टी कमिशनर जल्दी से जल्दी इन स्थानों का दौरा करें और मॉनसून के बाद की स्थिति का डेटा तैयार करके मुकम्मल रिपोर्ट माइनिंग विभाग को भेजें क्योंकि उसके उपरांत अधिक पारदर्शिता लाने के लिए इस डेटा को लोगों की सुविधा के लिए ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जाना है।
ग़ैर-कानूनी माइनिंग विरुद्ध कार्यवाही की समीक्षा करते हुए जंजूआ ने समूह डिप्टी कमिशनरों को कहा कि ग़ैर-कानूनी माइनिंग सम्बन्धी दर्ज मामलों में चोरी और माइनिंग एक्ट की धाराएं जोडऩा और इन मामलों पर अगली कार्यवाही यकीनी बनाने के लिए इनको अदालतों तक पहुंचाने के लिए कार्यवाही अमल में लाई जाए। उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल से अब तक ग़ैर-कानूनी माइनिंग के विरुद्ध 447 एफआईआर दर्ज करके 421 विरोधी तत्वों को गिरफ़्तार किया गया है जबकि 515 वाहन ज़ब्त किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ग़ैर-कानूनी माइनिंग पर छापामारी के दौरान ज़ब्त किए गए वाहनों और अन्य सामान की बोली करवाई जाये और बनती रकम खज़ाने में जमा करवाई जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि ग़ैर-कानूनी माइनिंग के मामलों में निशानदेही में देरी से रिकवरी में देरी होती है, इसलिए समयबद्ध तरीके से निशानदेही यकीनी बनाई जाए। उन्होंने कहा कि ज़ब्त वाहनों पर एनजीटी के दिशा-निर्देशों अनुसार जुर्माना लगाया जाए।
मुख्य सचिव ने डिप्टी कमिशनरों को जि़ला स्तरीय मीटिंगों के दौरान लैंड रेवेन्यू के बकाए की रिकवरी के बारे कार्यवाही अमल में लाने के लिए आदेश देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सरकार की तरफ 111 करोड़ रुपए बकाया हैं, जिनकी तुरंत रिकवरी यकीनी बनाई जाए।
इसी तरह जि़लों के जल संरक्षण के प्रोजेक्टों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने समूह डिप्टी कमिशनरों को निर्देश दिए कि वह जल संरक्षण के प्रोजेक्टों को तुरंत मंज़ूरी दें। उन्होंने कहा कि खासकर भूजल को रिचार्ज करने सम्बन्धी स्कीमों को पहल के आधार पर शुरू करवाया जाए। मुख्य सचिव ने ड्रेनेज प्रोजेक्टों सम्बन्धी डिप्टी कमिशनरों को प्रोजैक्ट केन्द्रित रिपोर्टें भेजने के निर्देश देते हुए कहा कि इन रिपोर्टों के बाद ही सम्बन्धित ठेकेदार को अदायगी की जाए। उन्होंने डिप्टी कमिशनरों को नदियों और नहरों में प्रदूषण की रोकथाम यकीनी बनाने के लिए भी सख्त निर्देश दिए और कहा कि घरेलू अवशेष, म्यूंसीपल सीवरेज, डेयरी वेस्ट, एस.टी.पी. का वेस्ट पानी और औद्योगिक वेस्ट आदि के प्रदूषण को नदियों और नहरों और में ना बहने दिया जाए। नहरी पानी की चोरी सम्बन्धी मामलों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने ऐसे मामलों में केस दर्ज करने और अगली कार्यवाही अमल में लाने सम्बन्धी हिदायत की।
Rani Sahu
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