
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
2008 से 2014 के बीच जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन योजना के अंतर्गत 32 करोड़ रुपये बस खरीद और ई-टिकटिंग मशीनें खरीदने के लिए आए, लेकिन मई 2019-20 में इसमें से 22 करोड़ रुपये अन्य उद्देश्यों के लिए खर्च कर दिए।
हरियाणा परिवहन विभाग की ढुलमुल कार्यप्रणाली की पोल भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक यानी कैग ने खोल डाली है। 2015 से 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष की अवधि का कैग ने सितंबर 2020 से अगस्त 2021 के बीच ऑडिट किया।
सोमवार को विधानसभा में सदन पटल पर रखी रिपोर्ट के अनुसार रोडवेज का घाटा, ब्रेक डाउन बढ़े और बसें कम होती गईं। साधारण, सीएनजी बसें और ई-टिकटिंग बसें खरीदने के लिए आई राशि को अन्य जगह खर्च किया गया। एचआईसी गुरुग्राम में तैयार बसें देरी से उठाने पर 12 करोड़ रुपये की चपत लगी। 642 तैयार फैब्रिकेटिड बसों में से 529 को सात दिनों के भीतर डिपो को उठाना था, लेकिन दस से 333 दिनों की देरी पर उठाया।
2008 से 2014 के बीच जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन योजना के अंतर्गत 32 करोड़ रुपये बस खरीद और ई-टिकटिंग मशीनें खरीदने के लिए आए, लेकिन मई 2019-20 में इसमें से 22 करोड़ रुपये अन्य उद्देश्यों के लिए खर्च कर दिए। बसों की औसत संख्या 2015-16 में 4210 थी जो 2019-20 में घटकर 3118 रह गई। इसी दौरान आठ साल से अधिक पुरानी बसों का बेड़ा 82 से बढ़कर 582 हो गया। बसों का बेड़ा घटने के कारण ब्रेक डाउन की संख्या 4118 से बढ़कर 4841 पहुंच गई। 775 निर्धारित किलोमीटर तय न करने पर 86 करोड़ की चपत लगी।
बस चेसिज की खरीद और निर्माण लागत योजना के 700 करोड़ रुपये में से 542 करोड़ रुपये विभाग को सरेंडर करने पड़े। 2015-20 के बीच 995 बसें चलाने के लक्ष्य के विपरीत 450 साधारण चेसिज, 150 मिनी और 18 सुपर लग्जरी बसें ही खरीदी गईं। इसी दौरान 1613 बसों को अनुपयोगी घोषित कर दिया गया। जिससे बेड़े में कमी आई। लो फ्लोर बसों को समय से पहले अयोग्य घोषित करने पर तीन करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ। वर्कशाप में बसों को लंबे समय तक रोकने के कारण सवा चार करोड़ रुपये का घाटा हुआ। परिवहन विभाग की वास्तविक आय 2015-20 में कम होकर 1105 करोड़ रह गईं, यह पहले 1254 करोड़ थीं।
2879 वाहन मालिकों ने जमा नहीं किया जुर्माना
आठ क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरणों में 2879 वाहनों के मालिकों ने अप्रैल 2017 से मार्च 2020 के बीच लगभग सात करोड़ का जुर्माना जमा नहीं किया। 132 वाहनों पर मोटर वाहन कर मूल पंजीकरण के समय एक्स शो रूम कीमतों पर नहीं लगाया गया, जिससे 56 लाख रुपये की कम वसूली हुई। 753 वाहन मालिकों ने फिटनेस प्रमाण पत्र का नवीनीकरण नहीं करवाया, जिससे लगभग 4 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हुई।