पंजाब
स्मार्ट सिटी के जिस ऑफिस हुए करोड़ों के घोटाले, वहां आज झाड़ू पोंछा लगाने वाला कर्मचारी तक नहीं
Shantanu Roy
15 Sep 2022 1:48 PM GMT
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बड़ी खबर
जालंधर। आज से करीब 7 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस स्मार्ट सिटी मिशन की कल्पना की थी और गर्मजोशी से उसे लांच किया था, वह मिशन पंजाब के जालंधर शहर तक पहुंचते-पहुंचते बिल्कुल ही धराशायी होकर रह जाएगा, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था। तब जालंधर को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय ने करीब दो हज़ार करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट मंजूर किए थे जिनमें से 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट तो बनाकर चला भी दिए गए। पैसों की बात करें तो जालंधर स्मार्ट सिटी के खाते में करीब 375 करोड़ रुपए आए जिनमें से करीब 360 करोड़ रुपए ठेकेदारों के बीच बांट दिए गए और अब मात्र 14-15 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी के खाते में बचे पड़े हैं।
आज हालात यह हैं कि कुछ सालों से स्मार्ट सिटी के जिस ऑफिस में खूब चहल-पहल हुआ करती थी और अधिकारियों के अलावा ठेकेदारों का भी आना जाना लगा रहता था, वह आफिस आज वीरान होकर रह गया है। स्मार्ट सिटी के जिस ऑफिस में पिछले समय दौरान सरकारी अधिकारियों ने करोड़ों रुपए के घपले किए, वहां आज झाड़ू पोंछा लगाने वाला कर्मचारी तक मौजूद नहीं है। केवल दो-तीन कर्मचारी नियमित रूप से दफ्तर आते और दरवाजे खोल कर बैठ जाते हैं ।
जिन अफसरों से निगम नहीं चल पा रहा, उन्हें स्मार्ट सिटी की जिम्मेदारी सौंपी
जालंधर नगर निगम की बात करें तो यह आज तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। शहर की तमाम सड़कें टूटी हुई हैं जिन पर पैचवर्क तक नहीं किया जा रहा। कई वार्डों में लोग गंदा पानी पीने को विवश हैं जिनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है । जगह-जगह सीवरेज जाम के कारण नरक जैसे हालात हैं। 50 करोड़ खर्च करने के बावजूद शहर की आधी से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें जल नहीं रही। निगम में पेंडिंग शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में नगर निगम के तमाम अधिकारियों को स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट का नोडल ऑफिसर बना दिया गया है। गौरतलब है कि शहर में स्मार्ट सिटी के कुल 64 प्रोजेक्ट हैं जिनमें से करीब 34 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। 30 प्रोजैक्ट ऐसे हैं जो लटक रहे हैं और लोगों की परेशानी का कारण बने हुए हैं। इन सभी प्रोजेक्टों का अतिरिक्त कार्यभार एस.ई. से लेकर एक्सियन, एस.डी.ओ. तथा जे.ई. लेवल के अधिकारियों को सौंप दिया गया है।
ज्यादातर प्रोजेक्ट शुरू होने के आसार ही नहीं
केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार के माध्यम से जालंधर स्मार्ट सिटी को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर जून 2023 तक स्मार्ट सिटी के बाकी कामों को पूरा न किया गया तो यह मिशन पूरी तरह समेट लिया जाएगा और सब कामों को सिरे चढ़ाने की सारी जिम्मेदारी पंजाब सरकार पर आ जाएगी। फिलहाल इस अल्टीमेटम को देखते हुए बैठकों का दौर जारी है। चंडीगढ़ बैठे अधिकारी भी फटाफट प्रोजेक्ट शुरू करने की बातें तो कर रहे हैं परंतु जालंधर में ऐसा होना संभव दिखाई नहीं दे रहा। जालंधर स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान घोटाले ही इतने हो चुके हैं कि अब कोई नया अधिकारी उनकी जिम्मेदारी लेने तक को तैयार नहीं है। पंजाब सरकार ने स्मार्ट सिटी के सभी 64 प्रोजेक्टों की जांच का जो काम विजिलेंस ब्यूरो को सौंप रखा है उससे भी अधिकारी और ठेकेदार डरे हुए हैं।
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