पंजाब
केंद्र का नहीं मिला साथ तो पंजाब सरकार ने खुद ही निकाल लिया पराली से निपटने का तरीका
Shantanu Roy
13 Sep 2022 2:54 PM GMT
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जालंधर। पराली वाले मामले में केंद्र सरकार से सहयोग न मिलने के बाद पंजाब सरकार ने अब इस समस्या से खुद ही निपटने का निर्णय लिया है। पंजाब सरकार ईंट-भट्ठों और उद्योगों में ईंधन के रूप में पराली का इस्तेमाल अनिवार्य करने जा रही है। प्रारंभ में ईंट-भट्ठों में इस्तेमाल ईंधन का सातवां हिस्सा पराली के रूप में इस्तेमाल होगा। पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इस नीति को लागू करने के लिए अधिकारियों से 2 बैठकें हो चुकी हैं, जबकि एक और बैठक शीघ्र की जा रही है, जिसमें ईंट-भट्ठा मालिकों को भी शामिल किया जाएगा। इससे सीधे-सीधे दो लाभ होंगे, एक पराली का इस्तेमाल ईंधन के रूप में होगा, दूसरा किसानों और ईंट-भट्ठा मालिकों को आर्थिक फायदा होगा। पंजाब सरकार ने धान की पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 2500 रुपए देने का प्रस्ताव रखा था।
जिसमें यह सुझाव पेश किया गया था कि इस राशि में से 1500 रुपए प्रति एकड़ केंद्र सरकार जबकि 1000 रुपए प्रति एकड़ पंजाब और दिल्ली सरकार द्वारा दिए जाएंगे परंतु केंद्र सरकार की तरफ से यह प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ सका। इसके समानान्तर ही पंजाब सरकार द्वारा पराली के लिए अन्य उपाय भी किए जा रहे थे। पराली को ईंट-भट्ठों और फिर उद्योगों में इस्तेमाल करने के लिए सरकार द्वारा नीति तैयार की जा रही है। पराली को गट्टी के रूप में तबदील करके इसका इस्तेमाल कोयले की जगह किया जाएगा, हालांकि पराली गट्टी के लुधियाना और मोगा जिला में ईंट-भट्ठों में किए सफल इस्तेमाल में यह बात उजागर हुई है कि इससे औसतन 40 प्रतिशत कोयला ईंधन को बदलने में मदद मिलेगी और इससे ईंट-भट्ठा पर ईंधन का खर्च भी कम होगा परंतु सरकार ने एक बार इसका लक्ष्य मात्र 20 प्रतिशत ही रखा है। वैसे भी कोयले के दाम लगातार बढ़ने से भट्ठा मालिक कोयले का विकल्प ढूंढ रहे थे। पर्यावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि प्रथम चरण में राज्य के करीब 2700 ईंट-भट्ठों में पराली की गट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे किसानों को पराली का अच्छा दाम मिलेगा और ईंट-भट्ठों को सस्ता ईंधन उपलब्ध होगा।
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