चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में सिर्फ ग्रीन पटाखों को बेचने और जलाने की इजाजत दी है। कागजी आदेश से परे शहर के लोग अभी भी ग्रीन पटाखों को लेकर असमंजस में हैं कि ये होते कैसे हैं, दिखते कैसे हैं और पुराने परंपरागत पटाखों से कैसे अलग हैं।
ग्रीन पटाखों पर गाइड बुक लिखने वाले पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के असिस्टेंट प्रोफेसर रविंदर खैवाल का कहना है कि ग्रीन पटाखों की पहचान के लिए हरे रंग का लोगो देखें। इस पर सीएसआईआर-नीरी का सर्टिफाइड लोगो लगा होगा। हरे रंग के ये स्टीकर दर्शाते हैं कि ये ग्रीन पटाखे हैं। स्टीकर देखने के बाद ही खरीदें। साथ ही ग्रीन पटाखों की पैकिंग भी अच्छी होगी। सामान्य पटाखों से थोड़े महंगे हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रीन पटाखों के बॉक्स पर क्यू आर कोड भी बना होता है। उन्होंने बताया कि ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 30 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैस पैदा होती है जो पर्यावरण को कम दूषित करती है। इसे सीएसआईआर और नीरी ने मिलकर तैयार किया है। इन पटाखों में पार्टिक्युलेट मैटर का विशेष ख्याल रखा जाता है ताकि धमाके के बाद कम से कम प्रदूषण फैले। उन्होंने कहा कि ग्रीन पटाखे भी पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं होते हैं।
मोबाइल एप से स्कैन कर भी मिलेगी पटाखे की जानकारी
गूगल प्ले स्टोर से सीएसआईआर-नीरी के मोबाइल एप को डाउनलोड करने के बाद नाम, ईमेल, मोबाइल नंबर और डीओबी की जानकारी देकर खुद को रजिस्टर करना होगा। इसके बाद एक स्क्रीन खुलेगी जिसमें स्कैन क्यूआर का ऑप्शन होगा। पटाखे के डिब्बे पर छपे बार-क्यूआर कोड को स्कैन कर लोग पटाखों की जानकारी हासिल कर सकेंगे। स्कैन करने से पता चल सकता है कि इन्हें कहां बनाया गया है और इसके निर्माता ने कौन से केमिकल का इस्तेमाल किया है।
नकली पटाखों को रोकना प्रशासन के लिए चुनौती
शहर में सामान्य पटाखों को बेचने और जलने से रोकना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। प्रशासन की तरफ से तय किए गए स्टॉल पर तो ग्रीन पटाखे ही बिकेंगे लेकिन गांव कालोनियों में छोटे दुकानदारों पर प्रशासन कैसे नकेल कसेगा, ये देखना होगा। अभी से ही शहर के कई इलाकों में पुराने पटाखे बिक रहे हैं। हालांकि बीते दिनों डीसी विनय प्रताप सिंह ने सभी थानों के एसएचओ को इन पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
ग्रीन पटाखे और सामान्य पटाखों में बड़ा अंतर ये है कि ग्रीन पटाखे 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं। सीएसआईआर-नीरी ने रिसर्च करके पटाखों के अंदर के जहरीले पदार्थों को रिप्लेस किया है। रॉ मैटेरियल भी इको फ्रेंडली यूज किए जाते हैं। ग्रीन पटाखों के बॉक्स पर एक क्यू आर कोड भी बना होता है।