न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
अनाथालय की संचालिका जसवंती देवी, उसके दामाद जय भगवान और ड्राइवर सतीश को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। संचालिका के भाई जसवंत को सात साल की सजा सुनाई गई। सजा के खिलाफ जसवंती देवी ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दी थी। अपील के लंबित रहते उसने हाईकोर्ट से सजा निलंबित करने की मांग की थी।
रोहतक के अपना घर अनाथालय में दुष्कर्म और शोषण के मामले में दोषी अनाथालय की संचालिका जसवंती देवी को बड़ी राहत देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उसकी सजा निलंबित कर दी है। 2012 में इस अनाथालय से 103 लड़कियों को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम ने मुक्त कराया था।
सीबीआई के सामने 12 लड़कियों ने यौन शोषण और गर्भपात करवाने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया था और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इस मामले में पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने 27 अप्रैल 2018 को नौ दोषियों को सजा सुनाई थी।
अनाथालय की संचालिका जसवंती देवी, उसके दामाद जय भगवान और ड्राइवर सतीश को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। संचालिका के भाई जसवंत को सात साल की सजा सुनाई गई। सजा के खिलाफ जसवंती देवी ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दी थी। अपील के लंबित रहते उसने हाईकोर्ट से सजा निलंबित करने की मांग की थी।
जल्द सुनवाई के आसार न होने पर मांगी थी सजा निलंबन की मांग
इस पर हरियाणा सरकार ने बताया कि जसवंती देवी नौ वर्ष से ज्यादा की सजा पूरी कर चुकी है। हाईकोर्ट ने कहा कि वह नौ साल से ज्यादा समय से जेल में है और उसकी अपील पर जल्द सुनवाई के आसार नहीं है ऐसे में उसकी सजा निलंबित करने की मांग को स्वीकार किया जा सकता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उसकी सजा को निलंबित कर दिया।