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कृषि मंत्री ने बताया कि गेहूं और धान के अनुपात के अनुसार कपास पर आढ़त नहीं ली जा सकती, क्योंकि धान और गेहूं की फसल को मंडी में उतारने, सफाई, भरने, तोलने और ढुलाई आदि पर कई खर्चे आते हैं, जबकि किसानों के अनुसार कपास पर ऐसे खर्चे नाममात्र हैं।
पंजाब सरकार ने कपास के किसानों के लिए बड़ा फैसला लिया। सरकार की ओर से कपास पर ली जाने वाली 2.5 फीसदी आढ़त को एक फीसदी कर दिया गया है। कपास पट्टी के किसानों और व्यापारियों की मांग को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है। इसके साथ ही कॉटन फैक्टरियों के फिक्स चार्ज माफ करने के लिए भी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है।
राज्य के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कुछ दिन पहले मालवा की कपास पट्टी का दौरे करने के दौरान किसानों की समस्याएं सुनी थीं। इसके बाद पंजाब कॉटन फैक्टरी और जिनर्ज एसोसिएशन द्वारा किसानों और अपनी समस्याओं संबंधी बैठक की। बैठक के बाद कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा किसानों को लाभ देने के लिए कपास पर आढ़त फीस 2.5 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी करने का फैसला किया है।
कृषि मंत्री ने बताया कि गेहूं और धान के अनुपात के अनुसार कपास पर आढ़त नहीं ली जा सकती, क्योंकि धान और गेहूं की फसल को मंडी में उतारने, सफाई, भरने, तोलने और ढुलाई आदि पर कई खर्चे आते हैं, जबकि किसानों के अनुसार कपास पर ऐसे खर्चे नाममात्र हैं। इसके चलते पहले ही सरकार ने कपास पर मार्केट फीस 2 फीसदी से घटाकर 0.5 प्रतिशत कर दी है। कपास पट्टी के किसान बहुत दिक्कतों का सामना कर रहे हैं और आढ़त कम करने के फैसले से किसानों को कुछ राहत मिलेगी।
इसके अलावा पंजाब कॉटन फैक्टरीज और जिनर्ज एसोसिएशन द्वारा कृषि मंत्री के संज्ञान में लाया गया कि पिछले कुछ सालों से कपास की फसल को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और कपास पट्टी के किसान कपास की फसल से किनारा करने लगे हैं।
इसका बुरा प्रभाव कॉटन फैक्टरियों पर पड़ा है। राज्य की बहुत सी कॉटन फैक्टरियां घाटे में जाने के कारण बंद होने की कगार पर हैं या बंद हो गई हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से अपील की है कि सरकार द्वारा किसानों को कपास की फसल की ओर फिर से प्रोत्साहित करने के लिए और किसान हितैषी फैसले लिए जाएं।
माफ किए जाएंगे बिजली के फिक्स चार्ज
व्यापारियों ने कृषि मंत्री को अपनी अलग-अलग समस्याओं से अवगत करवाते हुए बताया कि बिजली बोर्ड द्वारा उनसे फिक्स चार्ज लिए जाते हैं, जो वाजिब नहीं। कुलदीप सिंह धालीवाल ने राज्य बिजली रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन के साथ बातचीत की, जिन्होंने आश्वासन दिया कि इस मसले का सकारात्मक हल निकाला जाएगा।
10 गुना जुर्माना भी हो माफ
कॉटन फैक्टरियों के मालिकों द्वारा मंडी फीस और आरडीएफ समय पर जमा न करवाने के लिए लगाए जाते 10 गुना जुर्माने को घटाने की विनती पर भी विचार करने के लिए कृषि मंत्री ने अधिकारियों को हिदायतें जारी कीं।
Admin4
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