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पंजाब | तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देशभर में 26 नवंबर को 'राजभवन मार्च' का आह्वान किया है। वहीं पंजाब के एक अन्य किसान संगठन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने इसी दिन प्रदेशभर के सभी डीसी दफ्तरों के सामने पक्का मोर्चा लगाने का एलान कर दिया है।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रदेश महासचिव सरवन सिंह पंधेर और राज्य कार्यालय सचिव गुरबचन सिंह चब्बा ने कहा कि संगठन की राज्य कार्यकारिणी की बैठक राज्य मुख्यालय शहीद अंग्रेज सिंह बाकीपुर भवन में राज्य अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू की अध्यक्षता में हुई। बैठक में अपनी मांगों को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया है।
26 नवंबर से पंजाब भर में डीसी कार्यालयों के सामने अनिश्चितकालीन मोर्चा शुरू किया जाएगा। यह मोर्चा मांगों को मनवाने तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 18 जिलों के 93 जोनों और हजारों गांवों में किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं की विशाल बैठक आयोजित कर इस मोर्चे की तैयारी युद्धस्तर पर की जाएगी।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष सविंदर सिंह चोताला और उपाध्यक्ष जसबीर सिंह पिद्दी ने कहा कि पंजाब के हजारों किसान, मजदूर और महिलाओं ने बिजली वितरण अधिनियम 2022 की अधिसूचना रद्द करने, 23 फसलों की खरीद का कानून लागू करने, डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू को करने और फसलों की लागत कम करने की मांग की है। लाभ का 50 प्रतिशत हिस्सा एमएसपी में जोड़ने, किसानों का कर्ज माफ करने और किसानों को 10 हजार रुपये मासिक पेंशन की भी मांग की है। किसानों ने पंजाब में निजी कंपनियों के माध्यम से संचालित नहर परियोजनाओं को रद्द करने की आवाज उठाई। उनका कहना है कि नहरों का पानी पंजाब की कृषि योग्य भूमि तक पहुंचने का प्रबंध सरकार करे और जहरीले पानी पर रोक लगाई जाए।
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