पंजाब

शहीद को आज भी राखी बांधती हैं बेटियां

Admin4
11 Aug 2022 2:18 PM GMT
शहीद को आज भी राखी बांधती हैं बेटियां
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

रक्षाबंधन का त्योहार देश-दुनिया में मनाया जा रहा है। कच्चे धागों की डोर से बंधे भाई बहन के प्यार और इस पावन रिश्ते से बढ़कर कोई अन्य रिश्ता दुनिया में नहीं है। आज आपको ऐसे ही एक अद्भुत रिश्ते की कहानी बताने जा रहे हैं। पंजाब के पठानकोट में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे गांव सिंबल में राखी का त्योहार अनोखा है। यहां की बेटियां अपने आप में मिसाल हैं। इस गांव की बेटियां एक शहीद की बहन का रिश्ता निभा रही हैं। इस शहीद का नाम है नायक कमलजीत सिंह। गांव सिंबल को बचाने हुए कमलजीत ने अपनी जान न्योछावर कर दी। अब बेटियां अपना फर्ज शहादत के बाद भी निभा रही हैं। बेटियों के इस अटूट प्रेम को देख बीएसएफ जवान की आंखें नम हो जाती हैं।

अकेले ही पाकिस्तान सेना से भिड़ गए थे कमलजीत सिंह

कमलजीत सिंह ने मात्र तीन वर्ष की नौकरी में ही 26 वर्ष की अल्पायु में पाक सेना से लड़ते अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। बीएसएफ की 20 बटालियन में नायक कमलजीत सिंह वायरलेस ऑपरेटर थे। 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान सेना को धूल चटा शहादत का जाम पीया। इस वीर योद्धा की चार दिसंबर 1971 को भारत-पाक युद्ध के दौरान सीमा पर स्थित बीएसएफ की सिंबल पोस्ट पर थी। इस पोस्ट पर पाकिस्तान सेना ने हमला बोल दिया था। पोस्ट पर जवानों की संख्या कम थी और पाक सेना की पूरी बटालियन थी। मगर अपने जज्बे से वायरलेस ऑपरेटर कमलजीत सिंह ने पोस्ट छोड़ने से मना कर दिया और अकेले ही पाक सेना से भिड़ गए। गुरदासपुर मुख्यालय को भी सूचना भेजते रहे। कुछ समय बाद पाकिस्तान सेना उन्हें बंदी बनाकर अपने साथ ले गई और सिर कलम कर सिंबल पोस्ट पर स्थित एक पेड़ पर लटका दिया था।

43 साल तक बहन ने बांधी रखी, निधन के बाद बेटियां निभा रहीं रिश्ता

दरअसल, जालंधर निवासी कमलजीत की बहन अमृतपाल कौर ने गांव सिंबल की बीएसएफ पोस्ट पर स्थित शहीद भाई के स्मारक पर लगातार 43 वर्षों तक राखी बांधती रहीं। इसके बाद अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूट गई। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि देहांत से तीन दिन पहले शहीद की बहन अमृतपाल कौर ने परिषद से वचन लिया था कि वह 43 वर्षों से अपने भाई की समाधि पर राखी बांध रही हैं, यह परंपरा रुकनी नहीं चाहिए। तब से परिषद के सदस्यों की मदद से गांव की बेटियां हर साल शहीद कमलजीत की समाधि पर राखी बांधती हैं।

शहीद कमलजीत को मसीहा के रूप में पूजते हैं गांव के लोग

संदीप कौर व हरमनप्रीत कौर ने नम आंखों से बताया कि गांव सिंबल के लोग कमलजीत सिंह को आज भी एक मसीहा के रूप में पूजते हैं। इसलिए वह भविष्य में भी इसी तरह अपने गांव के रक्षक भाई की समाधि पर राखी बांधती रहेंगी। इसके अलावा उन्होंने पोस्ट पर तैनात बीएसएफ के जवानों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें यह अहसास करवाया कि बेशक उनकी बहन अमृतपाल कौर की सांसों की डोर टूटी है, मगर रक्षाबंधन का यह अटूट रिश्ता कभी नहीं टूटेगा।

सहायक कमांडेंट सूदन कुमार विश्वास ने कहा कि इन सरहदी बहनों ने उनकी कलाई पर जो रक्षासूत्र राखी के रूप में बांधा है, यह एक कवच के रूप में जवानों की रक्षा करेगा। इन मुंह बोली बहनों ने कलाई पर राखी बांधकर जो स्नेह दिया है, उससे हजारों मील दूर बैठी बहनों की कमी हमें नहीं खलने दी। हम अपनी इन बहनों को वचन देते हैं कि अपने खून की आखिरी बूंद तक इन सरहदों की रक्षा करते रहेंगे।

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