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Punjab,पंजाब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक भावुक पत्र में वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि वह एक आम किसान हैं जो ‘कृषक समुदाय के हित के लिए अपना जीवन बलिदान करने को तैयार हैं।’ दल्लेवाल के खून से अंगूठे के निशान वाले इस पत्र में कहा गया है कि वह पिछले 17 दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं और ‘यह उनका पहला और आखिरी पत्र है।’ 12 दिसंबर को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी सहित हमारी सभी 13 मांगों को केंद्र ने 2011 में पूरा करने का आश्वासन दिया था। आपके पास दो विकल्प हैं। या तो आप 2011 में हमसे किए गए वादों को पूरा करें और एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाएं या फिर मेरा बलिदान स्वीकार करने के लिए तैयार रहें।” पत्र में आगे उल्लेख किया गया है कि खनौरी, शंभू या रतनपुरा मोर्चे पर पुलिस कार्रवाई के कारण किसी भी अप्रिय घटना या जानमाल के नुकसान की स्थिति में प्रधानमंत्री पूरी तरह जिम्मेदार होंगे। पत्र के अंत में लिखा है, "प्रधानमंत्री जी, यह पूरी तरह से आपको तय करना है कि आप एमएसपी पर कानूनी गारंटी देंगे या मेरे जैसे आम किसान से बलिदान लेंगे।"
इस बीच, किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि 101 किसानों का उनका तीसरा 'मरजीवड़ा जत्था' 14 दिसंबर को दिल्ली की ओर अपना पैदल मार्च शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि शंभू सीमा पर केएमएम और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) की बैठक के बाद 'जत्था' (समूह) भेजने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, "हमने बहुत इंतजार किया है। केंद्र की ओर से बातचीत के लिए कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजा गया है।" पंधेर ने कहा, "हम सभी साथी नागरिकों से अपील करते हैं कि वे दल्लेवाल के समर्थन में उपवास रखें क्योंकि हमारा आंदोलन शुक्रवार को 10 महीने पूरा कर रहा है।" केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) की ओर से दल्लेवाल द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए खुले पत्र पर बोलते हुए पंधेर ने कहा कि प्रमुख मांगों में सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है। आज पंजाब सरकार की तीन सदस्यीय मेडिकल टीम ने खनौरी बॉर्डर का दौरा किया और दल्लेवाल के सैंपल लिए। मेडिकल टीम ने पुष्टि की कि किसान नेता काफी कमजोर हो गए हैं। एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की जायज मांगों को स्वीकार करना चाहिए।
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Payal
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