किसान आंदोलन के दौरान किसानों के संघर्ष और उनकी कहानियों को वर्कर्स यूनिटी ने द जर्नी ऑफ द फार्मर्स रेबेलियन, नाम की पुस्तक में संजोया है और इसका रविवार को राजधानी के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में विमोचन किया गया। किसानों के संघर्ष और उनकी कहानियों को पुस्तक में संजोने के लिए ग्राउंड जीरो और नोट्स ऑन द अकेदमी ने विशेष सहयोग दिया है।
किताब में उन किसान नेताओं के इंटरव्यू हैं, जिन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर मोर्चा खोला। कई महीनों तक चले किसानों के संघर्षों की कहानी भी पुस्तक में लिखी गई है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान समेत देशभर के किसान संगठनों के संघर्ष के किस्से भी किताब में हैं। कार्यक्रम में शामिल हुए क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा ये किताब आंदोलन का अहम दस्तावेज है। अब सभी मेहनतकशों को एक होना है।
कीर्ति किसान यूनियन के राजिंदर सिंह ने पंजाब के मौजूदा एग्रीकल्चर मॉडल पर कहा कि आज भी किसान को उनकी लागत का पूरा मूल्य नहीं मिल पा रहा है। बहुत सी जगह पर किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता, कई जगह प्रदूषित पानी है और यही हालात रहे तो 2050 तक पंजाब के लोग बीमारियों से ग्रस्त होकर बच्चे पैदा करने लायक नहीं रहेंगे। सुर्ख लीह के एडिटर पावेल कुस्से ने आंदोलन को किसानों की सर्दी, गर्मी, बारिश, धूप. में की कठोर तपस्या बताया।
जमीन प्राप्ति संयुक्त कमेटी की लीडर परमजीत ने कहा कि आने वाली पीढ़ी इसे पढ़कर किसानों की लड़ाई को महसूस कर सकेगी। परमजीत ने कहा कि पंजाब में दलित खेतीहर मजदूरों का संघर्ष आज भी जारी है। आज भी वो एक तिहाई जमीन का हिस्सा लेने के लिए संघर्षरत हैं। एमएएस की नोदीप कौर ने कहा कि किसान आंदोलन में मजदूरों का भी साथ रहा जबकि उनका शोषण होता है उन्हें बराबर मजदूरी तक नहीं मिलती। वरिष्ठ पत्रकार अरुण त्रिपाठी, अरफा खानम शेरवानी सहित कई वरिष्ठ लेखक, किसान नेता भी कार्यक्रम में मौजूद थे वहीं अंत में वर्कर्स यूनिटी के संदीप राउजी ने विमोचन में आए लोगों का धन्यवाद दिया।
न्यूज़क्रेडिट: navodayatimes