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मोगा। सरकार व जिला प्रशासन द्वारा फसलों की पराली को आग लगाने से रोकने के लिए पाबंदी के आदेश जारी करते हुए इनको सख्ती से लागू करने के निर्देश भी जारी किए गए थे परन्तु दूसरी तरफ जिले में सरकार व प्रशासन के सभी दावे फेल होते दिखाई दे रहे हैं।
जानकारी के अनुसार फसलों की पराली को आग लगाने का सिलसिला फसलों की कटाई उपरांत अब जोर पकड़ने लगा है। इस तरह की बनी स्थिति के कारण शाम ढलते ही चारों तरफ धुआं ही धुआं हो जाता है तथा हालात इस कदर खराब होने लगे हैं कि लोगों का सांस लेना भी दूभर हुआ पड़ा है। वातावरण के प्रदूषित होने के चाहे और भी कई कारण हैं लेकिन हर वर्ष इन दिनों धान की पराली को लगाई जाती आग से सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलता है। इस संबंधी एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा 3 नवम्बर तक चाहे 83 चालान काटकर 2 लाख 25 हजार रुपए के जुर्माने करते हुए 42 रैड एंट्रियां भी दर्ज की गई थी परन्तु फिर भी पराली को जलाने का रुझान कोई कम नहीं हुआ।
पराली का 200 रुपए प्रति क्विंटल मुआवजा देने की मांग
मोगा-बरनाला मुख्य मार्ग पर गांव डाला व धूड़कोट के बीच दिन-दिहाड़े लगाई गई आग संबंधी जब संबंधित किसान से बातचीत की गई तो उसने माना कि चाहे इससे वातावरण प्रदूषित होता है परंतु आग लगाना किसान की मजबूरी बन गई है क्योंकि सभी किसान सीधी बिजाई वाली मशीनें और बड़े ट्रैक्टर नहीं खरीद कर सकते क्योंकि खेती पहले ही फायदेमंद धंधा नहीं रही। पराली को जमीन में ही मिलाने से किसानों का खर्च बढ़ता है। एक और किसान का कहना था कि यदि सरकार व प्रशासन पराली जलाने से रोकना चाहता है तो किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से कम से कम 200 रुपए प्रति क्विंटल मुआवजा दिया जाए।
मरीजों की गिनती में हो रही बढ़ौतरी
इस संबंधी वातावरण प्रेमी विकास का कहना था कि पराली के धुएं से घर-घर में बीमारियां फैल गई हैं। सांस, दमा, नजला, बुखार, जुकाम की बीमारी से हर कोई पीड़ित है। जितने दिन बारिश नहीं होती तब तक समस्या दिनों-दिन खराब ही होती जाएगी। इस सिलसिले को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूत है। एक अन्य वातावरण प्रेमी विक्की शर्मा का कहना है कि यदि यह सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो आने वाले समय में नतीजे और गंभीर हो सकते हैं। इसलिए हमें संभलने की जरूरत है। वहीं डाॅक्टरों ने माना कि पिछले एक सप्ताह दौरान बीमारियों से पीड़ित मरीजों की गिनती में 50 प्रतिशत से भी ज्यौदा बढ़ौतरी हुई है। उन्होंने कहा कि रोजाना प्रदूषण से फैली बीमारियों से पीड़ित लोग इलाज के लिए आ रहे हैं।
जिला प्रशासन ने दिए सख्ती के आदेश
मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने पराली को आग लगाने की घटनाओं को रोकने के लिए और सख्ती करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत 2 एकड़ तक पराली को आग लगाने वाले किसानों को 2500 रुपए, 5 एकड़ तक 5 हजार रुपए व इससे ऊपर 15 हजार रुपए तक के जुर्माने किए जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रशासन की ओर से किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
Admin4
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