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अमृतसर : डेंगू के बढ़ रहे प्रकोप में जिले के अधिकतर प्राइवेट अस्पताल स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस को दरकिनार करते हुए ठेंगा दिखा रहे हैं। अस्पतालों द्वारा डेंगू के लक्षण वाले मरीजों को धड़ाधड़ दाखिल किया जा रहा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग को इन मरीजों की सही रिपोर्ट नहीं दी जा रही। विभाग के पास मरीजों का सही आंकड़ा न होने के कारण वह प्रभावित क्षेत्रों में मच्छर मार दवा का छिड़काव करने में असफल साबित हो रहे है। फिलहाल विभाग द्वारा दावा किया गया है कि जिले में डेंगू के 19 मरीज रिपोर्ट हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष पॉजिटिव मरीजों की संख्या 435 थी। हालात यह है कि मरीजों तथा आम जनता में उक्त बीमारी को लेकर भारी दहशत है व कई प्राइवेट डॉक्टर इस बीमारी के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं।
जानकारी अनुसार एडिस एजिप्टी के मच्छर डेंगू वायरस से संक्रमण फैलाते है। डेंगू दो रूप में परिलक्षित होता है-डेंगू फीवर एवं डेंगू हेमरेजीक फीवर/डेंगू शॉक सिन्ड्रोम। डेंगू का इनक्युबेशन पीरियड आम तौर पर 5 से 7 दिन का होता है। एडिस एजिप्टी मच्छर घरों में तथा घरों के आस-पास ठहरे हुए स्वच्छ पानी में पनपता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है। इन मच्छरों में डेंगू वायरस का संक्रमण 3 सप्ताह तक रहता है। संक्रमित ''एडिस एजिप्टी'' मच्छर के अण्डे भी संक्रमित होते है जो विकसित होकर संक्रमित मच्छर बनते है।
डेंगू के प्रमुख लक्षणों में अकस्मात तेज सर दर्द व बुखार होना, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होना, आंखों में दर्द होना जी मिचलाना व उल्टी होना तथा गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसूडों से खून आना, तथा त्वचा पर चकते उभरना है। दो से सात दिनों में मरीज की स्थिति गंभीर भी हो सकती है। शरीर का तापमान कम हो जाता है। शॉक की स्थिति निर्मित होती है। अमृतसर में हालात यह है कि छेहर्टा व देहाती के अलावा शहरी क्षेत्र में डेंगू के लक्षणों वाले सैंकड़ों मरीज प्राइवेट अस्पतालों में उपचाराधीन है। अस्पतालों द्वारा लोगों का डेंगू की बीमारी बताकर इलाज किया जा रहा है, जबकि इन मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी जा रही। डेंगू का मच्छर एक बार काटने के बाद दूसरी बार फिर उसी परिवार के किसी सदस्य को ग्रिफ्त में ले सकता है, जब तक उसका लारवा खत्म नहीं करवाया जा सकते। प्राइवेट अस्पताल सही जानकारी विभाग को नहीं दे रहे है, जिसके कारण विभाग भी प्रभावित क्षेत्रों में मच्छर मार दवा का स्प्रे करवाने में असफल साबित हो रहा है।
घरों के आस-पास पूर्ण साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। कचरे को अपने आवास से दूर फैंके। घरों के कूलर, टैंक, ड्रम, बाल्टी आदि से पानी खाली करें। कूलर का उपयोग नही होने का दशा में उसका पानी पूरी तरह खाली करें। घरों के आस-पास पानी एकत्रित होने वाली सभी अनुपयोगी वस्तुएं जैसे टीन के डिब्बे, कॉच एवं प्लॉस्टिक के बोतल, नारियल के खोल, पुराने टायर आदि नष्ट कर पाट दें व निस्तारी योग्य पानी में लार्वा पाए जाने पर टैमीफोस लार्वानाशक दवा का पानी की सतह पर छिड़काव करें। फ्रीज के ‘ड्रिप-पैन’ से पानी प्रतिदिन खाली करें। पानी संग्रहित करने वाले टंकी, बाल्टी, टब आदि सभी को हमेशा ढंककर रखें।
डेंगू फीवर के विषाणु को नष्ट करने कोई दवा प्रभावी नहीं है। मरीज को लक्षणों के अनुसार सर्पोटिव/कन्र्जवेटिव उपचार किया जाता है। डेंगू फीवर के मरीजों को ‘बेड रेस्ट’ की सलाह दें। बुखार कम करने के लिए एन्टी पायरेटिक्स एवं कोल्ड स्पान्जिग की आवश्यकता होगी। सैलीसिलेट एवं ब्रूफेन का उपयोग नही करना चाहिए। दर्द निवारक दवाइयों का उपयोग सावधानी पूर्वक करें एवं मरीजों को घरेलू तरल पदार्थ एवं ओ.आर.एस. घोल दिया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग के जिला मलेरिया अधिकारी डा. हरजोत कौर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार लोगों को डेंगू के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। विभाग द्वारा 3 लाख 44 हजार घरों का सर्वे करवाया गया है, जिनमें 818 घरों में लारवा मिला है। यहां तक कि 1018 कंटेनर में लारवा मिला है। संबंधित लोगों के चालान किए गए हैं। लोगों को स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन की पालना करनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में डेंगू के टैस्ट तथा इलाज नि:शुल्क किया जाता है।
सिविल सर्जन डा. विजय कुमार ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों को पत्र लिखा गया है कि डेंगू के मरीजों का डाटा विभाग को उपलब्ध करवाया जाए। जो प्राइवेट अस्पताल नियमों की पालना नहीं करेंगा, उसे नोटिस जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डेंगू का कोई भी लक्षण आने पर सरकारी अस्पताल में अपना टैस्ट करवाना चाहिए, जो नि:शुल्क किया जाता है। समय पर किया गया इलाज मरीज को राहत देता है। विभाग द्वारा इस संबंधी लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
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