x
जालंधर : सावधान हो जाएं, किसी सगे संबंधी का फोन आए और वो पैसों की डिमांड करे तो तुरंत पैसे ट्रांसर्फर न करें, अन्यथा आप ठगी का शिकार हो सकते हैं। इंटरनेट की दुनिया के हाईटेक होने के साथ-साथ ठगी के ढंग में भी हाईटेक हो रहे हैं और लोग इसका शिकार बनते जा रहे हैं। बैंक अकाऊंट संबंधी वन टाइम पासवर्ड (ओ.टी.पी.) मांगकर ठगी करने का तरीका अब पुराना हो चुका है, साइबर ठग ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) टूल का इस्तेमाल करके लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ठगी के यह केस तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि फर्जी कॉल की आवाज को पहचान पाना बेहद मुश्किल हैं।
ए.आई. की मदद से वॉयस क्लोनिंग के जरिए परिचित की आवाज में कॉल करके पैसों की मांग की जा रही है। बाद में पता चलता है कि उक्त कॉल फर्जी थी, जिसके बाद व्यक्ति पछताता है। ए.आई. टूल किसी भी आवाज की इतने बाखूबी ढंग से नकल करता है, जिसकी परख कर पाना बेहद मुश्किल है। ए.आई. को किसी भी आवाज की नकल करने के लिए केवल 3 सैकेंड का ऑडियो चाहिए होता है। साइबर ठग लोगों के फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब की मदद से वॉयस सैंपलिंग कर लेते हैं।
हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक, 75 फीसदी लोग क्लोनिंग वाली डुप्लीकेट आवाज को नहीं पहचान पाए। विशेषज्ञों के मुताबिक स्मार्ट फोन आने और सस्ता डेटा होने की वजह से बच्चे, बूढ़े और जवान सभी दिनभर सोशल मीडिया में सक्रिय रहते हैं। सर्वे के अनुसार 86 फीसदी भारतीय सप्ताह में एक बार अपना डाटा ऑनलाइन सांझा करते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफोर्म से ठगों को लोगों की आवाज का डाटा मिल जाता है। बड़ी आबादी और जागरुकता में कमी की वजह से भारत साइबर ठगों की सबसे बड़ी मंडी बन गया है। इस तरह के स्कैम से बचने के लिए सोशल मीडिया के अकाऊंड में पासवर्ड अलग-अलग होना चाहिए और पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहने की जरूरत है।
उदाहरण के तौर पर आपको कॉल आएगा, हैल्लो मम्मी मेरा फोन खो गया है, हमारा पर्स भी चोरी हो गया है। मैंने किसी और के नंबर से आपको कॉल किया है, मैं आपको नंबर बता रही हूं, इस पर पैसे भेज दीजिए। कोई आपके नंबर पर बेटा, पति, पत्नी यां मित्र आदि की आवाज में कॉल करके पैसों की मांग करता है और ऑनलाइन पैसे भेजने को कहता है तो तुरंत पैसे न भेजें। क्योंकि अगर आपने ऐसी गलती कर दी तो आपके खाते से एक पल में सारे पैसे गायब हो जाएंगे। साइबर ठगी करने वाले लोगों के बैंक खातों पर डाका डाल रहे हैं। इसके लिए तुरंत पैसे भेजने के स्थान पर अपने परिचित के नंबर पर वापस कॉल करें और सच्चाई को पता लगाएं।
ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का अविष्कार इंसानी कामकाज को आसान करने के मक्सद के साथ किया गया लेकिन अब इसकी मदद से जालसाजी होने लगी है। ए.आई. से दोस्त, रिश्तेदार की आवाज बदलकर साइबर जालसाज फोन कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। ए.आई. से हो रहे साइबर क्राइम को लेकर कई राज्यों की पुलिस द्वारा एडवाइजरी भी जारी की गई है। साइबर फ्रॉड जैसी कॉल आने पर नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से ठगी करने के मामलों में तेजी आ रही है, अमेरिका और चीन जैसे देश भी इसका शिकार हैं, अमेरिका में तो मामले इतने बढ़ चुके हैं कि संसद तक में इस पर बहस हो चुकी है। ए.आई. का ठगी के लिए इस्तेमाल होना कई तरह से नुक्सानदायक है। इस पर रोक न लगाई गई तो लोगों को इसका बड़े स्तर पर खमियाजा भुगतना पड़ेगा क्योंकि मुश्किल के समय में आसानी से किसी की मदद मिल पाना मुश्किल हो जाएगा।
Next Story