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राज्यपाल के साथ पिछले समय से चली आ रही कड़वाहट के बीच भगवंत मान ने यह पत्र लिखा है। असल में राज्यपाल ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि आरडीएफ रुके होने का मामला मुख्यमंत्री कभी भी उनके ध्यान में नहीं लाए। इस पर अब मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को इस संदर्भ में पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से खाद्यान्न क्रय पर होने वाले समस्त व्यय की प्रतिपूर्ति खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, केंद्र की ओर से की जानी चाहिए। केंद्र ने खरीफ सत्र 2020-21 की अनंतिम खरीद शीट में कुछ स्पष्टीकरण की कमी के कारण आरडीएफ का भुगतान नहीं किया है।
चर्चा के बाद राज्य सरकार ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और एफसीआई द्वारा मांगे गए सभी स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए। पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम (पीआरडीए), 1987 के निर्देशों के अनुसार भी संशोधन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तदनुसार, केंद्र सरकार ने रबी सत्र 2021-22 के लिए आरडीएफ की रुकी हुई धनराशि जारी कर दी है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि पीआरडीए 1987 के अनुसार संशोधन के बावजूद,केंद्र सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने खरीफ सीजन सत्र 2021-22 से ग्रामीण विकास निधि रोक दी है।
पीआरडीए 1987 की धारा 7 के अनुसार, आरडीएफ के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तीन प्रतिशत पंजाब ग्रामीण विकास बोर्ड को देना होता है। सभी व्यय पीआरडीए 1987 के प्रविधानों के अनुसार हैं और व्यय के सभी मद ग्रामीण, कृषि और संबंधित मुद्दों पर हैं। इससे कृषि क्षेत्र की प्रगति और किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा, जो खरीद केंद्रों की दक्षता बढ़ाने के लिए जरूरी है।
भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार ने रबी खरीद सीजन 2022-23 के लिए अंतिम लागत पत्र जारी करते समय दो प्रतिशत मंडी विकास फंड (एमडीएफ) की अनुमति दी, जिससे 175 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। केंद्र सरकार ने गेहूं खरीद सीजन 2023-24 के लिए अंतिम खरीद पत्रक जारी कर दिया है।
एमडीएफ तीन प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत किया गया है। इससे राज्य को 265 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान हुआ। इसके दो सीजन के लिए कुल घाटा 440 करोड़ रुपये हो गया। इस स्तर पर यह फंड जारी न होने से ग्रामीण बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडी बोर्ड और ग्रामीण विकास बोर्ड पूर्व में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास को लिए गए कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं है। इस मामले को कई बार केंद्र सरकार और यहां तक कि प्रधानमंत्री के समक्ष भी उठाया गया। आरडीएफ और एमडीएफ का बकाया भुगतान न करने के कारण मंडी बोर्ड व ग्रामीण विकास बोर्ड मौजूदा ऋण चुकाने में असमर्थ है। इसी प्रकार सरकार राज्य भी ग्रामीण आबादी और किसानों के कल्याण के लिए विकास गतिविधियों को निर्बाध रूप से जारी नहीं रख सकती है।
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