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अब मोहाली, जीरकपुर, न्यू चंडीगढ़, मुल्लांपुर में प्रॉपर्टी के खरीदार और निवेशक बढ़ गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बनाम यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के अपार्टमेंटाइजेशन मामले की सुनवाई करते हुए शहर में अपार्टमेंट वार संपत्ति की खरीद-बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक से 30 सेक्टर को हेरिटेज एरिया घोषित किया था। इन सेक्टरों में किसी भी रिहायशी संपत्ति के पहले से मौजूद या बिल्डिंग प्लान में बदलाव करने पर रोक थी। इस आदेश पर स्थानीय प्रशासन ने अपार्टमेंट के साथ ही शेयरवार रजिस्ट्री पर भी रोक लगा दी है. शहर भर में गैर-पारिवारिक शेयरवार रजिस्ट्री बंद होने से प्रॉपर्टी बाजार पूरी तरह ठप हो गया है.
इसके साथ ही संपत्ति के क्रय-विक्रय को लेकर नौ फरवरी को प्रशासन द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में संपत्ति का शत-प्रतिशत अन्य परिवार के सभी सदस्यों या किसी को बेचने का नियम है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को जारी आदेश में शेयर वाइज रजिस्ट्री पर रोक लगाने को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है.
ऐसे में परिवार के बाहर या अलग-अलग लोगों के नाम पर संपत्तियों की शेयरवार रजिस्ट्री को बंद कर प्रशासन ने शहर के संपत्ति बाजार को पूरी तरह बंद कर दिया है.
10 जनवरी से पहले बाजार में शहर की संपत्तियों की बिक्री से जुड़े सभी सौदे ठप पड़े हैं, कई संपत्तियों की बिक्री का 70 से 80 फीसदी तक भुगतान हो चुका है, लेकिन अपार्टमेंट निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण, करोड़ लोग फंसे हैं। प्रशासन के फैसले और बंटवारे के हिसाब से संपत्ति पर रोक से न केवल शहर के संपत्ति बाजार को नुकसान हो रहा है, बल्कि संपत्ति की रजिस्ट्री और अन्य कागजी कार्रवाई से प्रशासन को जो राजस्व मिलता था, वह भी ठप हो रहा है.
परिवार के बाहर शहर में शेयरवार रजिस्ट्री बंद होने से नजदीकी शहर में संपत्ति को फायदा हो रहा है। अब मोहाली, जीरकपुर, न्यू चंडीगढ़, मुल्लांपुर में प्रॉपर्टी के खरीदार और निवेशक बढ़ गए हैं।
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