ब्रेकिंग न्यूज़: याची ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 11 जून 2019 को अधिसूचना जारी करते हुए सामाजिक व आर्थिक आधार पर प्रोत्साहन की नीति बनाई थी। इसी नीति के तहत इस भर्ती में विधवा, अनाथ व ऐसे आवेदक जिनके परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है उन्हें अतिरिक्त 10 अंक देने का निर्णय लिया है। जूनियर सिस्टम इंजीनियर के 146 पदों की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा में 100 प्रतिशत अंक लेने के बावजूद मेधावी आवेदकों के चयन सूची बाहर होने की दलील देते हुए प्रोत्साहन के 10 अंक देने के प्रावधान को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस प्रावधान का लाभ देकर तैयार चयन सूची को रद्द करने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार व एचएसएससी को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
करनाल निवासी मोनिका रमन ने याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के लिए जूनियर सिस्टम इंजीनियर के 146 पद विज्ञापित किए थे। इन पदों के लिए 90 अंकों की फरवरी में परीक्षा आयोजित की गई थी। याची परीक्षा में बैठी और 90 में से 90 अंक प्राप्त किए। इसके बाद याची को दस्तावेजों की जांच के लिए बुलाया गया। जब चयनसूची आई तो उसका नाम उसमें मौजूद नहीं था। जब याची ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि सामाजिक और आर्थिक आधार पर मिले 10 अंकों के कारण याची से कम अंक पाने वाले मेरिट सूची में उससे ऊपर निकल गए और उनका चयन हो गया। याची को 90 में से 90 अंक लेने के बावजूद चयनित नहीं किया गया। सामान्य वर्ग की कट ऑफ 93 थी और वेटिंग 92 ऐसे में याची का चयन नहीं किया गया।
याची ने कहा कि परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक लेने के बाद भी नौकरी न देना समानता के सांविधानिक अधिकार का हनन है। 2019 में हरियाणा सरकार ने बनाई थी प्रोत्साहन नीति याची ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 11 जून 2019 को अधिसूचना जारी करते हुए सामाजिक व आर्थिक आधार पर प्रोत्साहन की नीति बनाई थी। इसी नीति के तहत इस भर्ती में विधवा, अनाथ व ऐसे आवेदक जिनके परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है उन्हें अतिरिक्त 10 अंक देने का निर्णय लिया है। ऐसे में लिखित परीक्षा में 84 अंक पाने वाले भी इन दस अंकों का लाभ लेकर चयन सूची में शामिल हो गए। हाईकोर्ट से याची ने अपील की कि इस चयनसूची को रद्द किया जाए। हाईकोर्ट ने अब इस याचिका पर हरियाणा सरकार व एचएसएससी से जवाब तलब कर लिया है।