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चंडीगढ़, भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल का समझौता होगा यह नहीं? यह सवाल हर किसी के मन में उमड़ रहा हैं। आम चर्चा है की भाजपा और शिअद का समझौता होगा, लेकिन केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी हों या भाजपा के प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी साफ तौर पर पुन: गठबंधन से इन्कार कर रहे हैं। जबकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यश्र जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से अभी तक इस बात से इन्कार नहीं किया गया हैं।
रविवार को गुरदासपुर में रैली के दौरान अपने 23 मिनट के भाषण में अमित शाह ने एक बार फिर शिअद का नाम नहीं लिया। वहीं, 14 जून को होशियारपुर में रैली के दौरान जेपी नड्डा ने भी एक बार भी शिअद का नाम नहीं लिया था। अहम पहलू यह है कि अमित शाह ने अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर कांग्रेस के शासन काल का तो जिक्र किया, लेकिन शिअद पर एक शब्द भी नहीं बोले।
अकाली दल करना चाहती हा गठबंधन?
राजनीतिक रूप से यह चर्चा जोरों पर है कि भले ही किसान आंदोलन को लेकर शिअद ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया हो, लेकिन इस फैसले के बाद से ही शिअद राजनीतिक रूप से हाशिये पर आ गई है। जिसके बाद से शिअद पुन: भाजपा के साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रही है।
हालांकि, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, प्रदेश प्रभारी व गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि किसी भी सूरत में शिअद के साथ समझौता नहीं हो।
अमित शाह की रैली को लेकर यह उम्मीद की जा रही थी कि वह इस संबंध में कोई न कोई संकेत दे सकते हैं। जबकि शाह ने अपने संबोधन के दौरान न तो एक बार भा यह कहा कि 2024 का चुनाव भाजपा पंजाब में अकेले लड़ेगी और न ही शिअद का नाम लिया। अलबत्ता यह जरूर संकेत दे दिए कि ड्रग्स को लेकर भाजपा गांवों तक जा सकती है। पंजाब के गांव शुरू से ही भाजपा के लिए कमजोर कड़ी रहे हैं, क्योंकि गठबंध में रहते हुए शिअद ही गांव की जिम्मेदारी संभालती थी।
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Kiran
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