पंजाब
वोटरों के ध्रुवीकरण का प्रयास: आम आदमी पार्टी ने पंजाब में खेला हिंदू कार्ड, अकाली दल ने की सिख वोटरों को साधने की कोशिश
Renuka Sahu
19 Feb 2022 5:39 AM GMT
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फाइल फोटो
पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल वोटरों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल वोटरों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हिंदू कार्ड खेलते हुए कहा कि मैं लुधियाना में था और एक व्यापारी ने मुझे बताया कि मैं हिंदू हूं और पंजाब में मुझे काफी खतरा है। लुधियाना में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक के बाद पंजाब में हिंदू और व्यापारी वर्ग सुरक्षा को लेकर चिंतित है। पंजाब आतंकवाद के बुरे दौर से गुजरा है। इस वजह से लोगों के मन में आंतरिक सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है।
केजरीवाल ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच पीएम की सिक्योरिटी को लेकर गंदी राजनीति हुई। जिसे खासकर हिंदुओं के मन में आंतरिक सुरक्षा को लेकर डर है। केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में टिफिन बम मिल रहे हैं। बॉर्डर से ड्रोन आ रहे हैं। लुधियाना में धमाका और श्री दरबार साहिब में बेअदबी हुई। ऐसे में सबको अपनी सुरक्षा की चिंता हो गई है। केजरीवाल को इस दांव से भाजपा व कांग्रेस से हिंदू का कुछ वोट बैंक खिसक कर आने की उम्मीद है।
अकाली दल के सुखबीर बादल भी पीछे नहीं रहने वाले थे, उन्होंने सिख कार्ड खेल दिया और सिखों के वोटरों का अकाली दल की तरफ ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की दिल्ली सरकार में कोई सिख मंत्री नहीं है। केजरीवाल के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव, समाज कल्याण और विकास, जेल, शिक्षा या स्वास्थ्य सचिव इनमें से कोई पंजाबी नहीं है।
वहीं पंजाब में भाजपा ने दलित वोटरों की ध्रुवीकरण का दांव चला था, कांग्रेस और अकाली दल छीन ले गया। भाजपा ने पंजाब में दलित सीएम बनाने की घोषणा की थी लेकिन कुछ समय बाद ही कांग्रेस ने यह दांव फेल कर दिया और चन्नी को सीएम बना दिया। अकाली दल ने बसपा के साथ समझौता करके दलितों वोटरों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की लेकिन चन्नी के सीएम बनने के बाद फेल हो गया।
पिछले चुनाव में आप से छिटक गया था हिंदू वोटर
पंजाब में इस बार आम आदमी पार्टी को गांवों में खूब समर्थन मिल रहा है। लोग बदलाव की बात कहकर आपको वोट देने की बात कह रहे हैं। हालांकि शहरों में उतना समर्थन नजर नहीं आ रहा। इसे देखते हुए केजरीवाल ने हिंदुओं की नब्ज टटोलने की कोशिश की है। पंजाब में करीब 38 फीसदी हिंदू वोट बैंक है, जिस पर भी सभी पार्टियों की नजर है। 2017 में भी केजरीवाल को पंजाब में हिंदू मतदाताओं की नाराजगी के कारण सत्ता नहीं मिली थी। केजरीवाल एक खालिस्तानी आतंकी की कोठी में ठहरे थे, जिसके बाद पंजाब में हिंदू वोटरों की नाराजगी हुई और वोटरों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। नतीजा यह रहा कि शहरी क्षेत्रों में आप का सफाया हो गया और एक भी उम्मीदवार ने जीत हासिल नहीं की।
हिंदू खतरे में बिकुल नहीं है, केजरीवाल बताएं पंजाब में हिंदुओं को किससे और कैसे डर है?
वरिष्ठ लेखक राकेश शांतिदूत का कहना है कि भाषा के आंदोलन के समय से पंजाब के बंटवारे के नाम पर पंजाबी लोगों को बांटने के सियासी खेल में अभी तक हिंदुओं को कभी आंतकवाद, हिंदू सिख एकता के नारे नीचे रोटियां सेंकी है। पंजाब में श्री गुरु नानक देव जी के भाईचारक सांझ के सिद्धांत के आगे हिंदू सिख को बांटने की चाल सफल नहीं हो सकी। पंजाब में पीएम मोदी के काफिले को रोकने में भाजपा ने एक साजिश करार दिया था, लेकिन केजरीवाल के बयान का मतलब यह समझा जा सकता है कि पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला पाकिस्तान से है। फिर यह हिंदुओं तक कैसे सीमित रह सकता है। क्या बाकी पंजाबियों को खतरा नहीं है। पंजाब में हिंदू आतंकवाद के दौर में भी खड़ा रहा और डटकर मुकाबला किया। यह हिंदू वोटरों का ध्रुवीकरण करने की एक योजना है।
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