इन तीनों अफसरों में एक पंजाब के मुख्य सचिव और दो अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं। यह घोटाला अकाली-भाजपा शासन के दौरान हुआ था। विजिलेंस ने कांग्रेस के शासन काल में मामले की जांच शुरू की थी।
पंजाब में पांच साल पुराने एक हजार करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले में आरोपी तीन सीनियर आईएएस अधिकारियों को विजिलेंस जांच के दायरे में लाने की तैयारी शुरू हो गई है। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने नियमों के तहत तीनों अफसरों से पूछताछ की अनुमति मांगी थी, जिस पर फैसला लेने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक कमेटी का गठन कर दिया है, जो पूरे मामले में विजिलेंस द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अध्ययन करेगी। साथ ही मुख्यमंत्री को सलाह देगी कि तीनों अफसरों के खिलाफ आरोपों में कितना दम है और इन अफसरों से विजिलेंस पूछताछ कितनी जरूरी है।
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान, एक हजार करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले में तीन सीनियर आईएएस अधिकारियों से पूछताछ की विजिलेंस ब्यूरो ने सरकार से अनुमति मांगी थी। इन तीनों अफसरों में एक पंजाब के मुख्य सचिव और दो अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं। यह घोटाला अकाली-भाजपा शासन के दौरान हुआ था। विजिलेंस ने कांग्रेस के शासन काल में मामले की जांच शुरू की थी।
अकाली मंत्रियों के नाम भी सामने आए थे
इस घोटाले में उक्त तीन सीनियर अफसरों के अलावा अकाली सरकार में तत्कालीन सिंचाई मंत्री जनमेजा सिंह सेखों और शरणजीत सिंह ढिल्लों के नाम सामने आए थे। हालांकि घोटाले के मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंदर सिंह को विजिलेंस ने दिसंबर 2017 में ही गिरफ्तार कर लिया था।
तब कैप्टन सरकार ने विजिलेंस ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत की गई छह पन्नों की रिपोर्ट के आधार पर दोनों अकाली नेताओं के खिलाफ जांच का आदेश जारी कर दिया था लेकिन तीन सीनियर अधिकारियों से पूछताछ की मांग संबंधी फाइल तत्कालीन मुख्य सचिव ने आगे नहीं भेजी थी। इसके लिए सरकार ने अपने उस नियम को आधार बनाया, जिसमें विजिलेंस ब्यूरो को भ्रष्टाचार के मामले में किसी सरकारी अधिकारी से पूछताछ करने के लिए संबंधित विभागाध्यक्ष या राज्य सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है।