पंजाब
आनंद मैरिज एक्ट: पूर्व सरकारें भी लागू नहीं करवा सकी ये एक्ट
Shantanu Roy
9 Nov 2022 5:57 PM GMT
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जालंधर। आज गुरुपर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य में सिख धर्म के लिए अलग से आनंद मैरिज एक्ट लागू करने का ऐलान किया है परंतु इस मामले में अतीत का तजुर्बा कड़वा रहा है। राज्य में अफसरशाही ने इस एक्ट को लागू ही नहीं होने दिया। शिअद-भाजपा सरकार ने इसे अप्रैल, 2016 में लागू किया था परंतु इस अधिनियम के लागू होने की तारीख से राज्य में इस एक्ट के तहत कोई विवाह पंजीकृत नहीं किया जा सका। दस्तावेजों में तो पंजाब में आनंद मैरिज एक्ट लागू है परंतु कम्प्यूटर प्रोग्राम में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है जिसके चलते हर सिख जोड़े की शादी हिन्दू धर्म के मुताबिक ही रजिस्टर्ड होती है। वर्ष 2016 में इस एक्ट को जब अकाली-भाजपा सरकार ने लागू किया था तो तत्कालीन सरकार इसे लागू करवा पाने में असफल रही। बाद में कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार आई तो सिख संगठनों के दबाव के चलते राज्य में इसे लागू करने के लिए सभी डिप्टी कमिश्नरों को पत्र जारी किए गए। पहली बार जब कोई असर नहीं हुआ तो सरकार ने फिर से सख्त पत्र निकाला। दूसरे पत्र में सभी उपायुक्तों से आनंद कारज अधिनियम का वर्णन करते हुए कम्प्यूटर एप्लीकेशन डाऊनलोड करने को कहा गया था। वैबसाइट पर आनंद कारज अधिनियम का कोई टैब नहीं है इसलिए कम्प्यूटर स्वत: ही आनंद मैरिज एक्ट आने पर इसे अस्वीकार कर देता है। पंजाब में आनंद मैरिज एक्ट लागू होने के बाद पूर्व की सरकार के काल के दौरान करीब 2000 आवेदन इस अधिनियम के अधीन रजिस्टर्ड होने के लिए आए थे।
ये विवाह रजिस्टर्ड तो हुए परंतु हिन्दू विवाह एक्ट के अधीन ही। पंजाब के गृह विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस बारे में सरकार ने 2 बार सभी डिप्टी कमिश्नरों को पत्र जारी किए और उनसे इस बारे में जवाब मांगा गया परंतु राज्य में किसी भी रजिस्ट्रार कार्यालय ने अपने कम्प्यूटर में आनंद मैरिज एक्ट को स्थापित नहीं किया। राज्य की 7 तहसीलों नवांशहर, बलाचौर, बंगा, दसूहा, गढ़शंकर और मुकेरियां ने ही सरकार के पत्र का जवाब दिया, अन्य किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। मुश्किल उन सिख जोड़ों को होती है जिन्होंने विदेश जाने के लिए वीजा आवेदन करना होता है। उन्हें देश और विशेष रूप से विदेश में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर सिख जोड़ों की शादी आनंद मैरिज एक्ट के अधीन रजिस्टर्ड हो जाए तो उन्हें फिर से अपनी शादी रजिस्टर्ड करवाने के जरूरत नहीं होती। दिलचस्प बात यह है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा ने इस एक्ट को सबसे पहले लागू किया था। इसके उपरांत मेघालय और फिर झारखंड ने इस एक्ट को अधिसूचित किया। पंजाब ने इस एक्ट को 16 अप्रैल, 2016 को अधिसूचित किया जो अभी भी वास्तविक रूप से लागू नहीं है।
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