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चंडीगढ़ : कनाडा में उच्च शिक्षा हासिल करने का सपना देख रहे पंजाब और हिमाचल प्रदेश के हजारों युवाओं का भविष्य फिलहाल संकट में है। पंजाब और पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से कनाडा में वीजा के लिए किए गए हजारों आवेदन शिक्षण संस्थानों में सीटें फुल होने से वहां की सरकार ने फिलहाल रोक दिए हैं।
बताया जा रहा है कि कनाडा के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में बैकलॉग से सीटें भरी जा रही हैं। फिलहाल भारत और खासकर पंजाब-हिमाचल से होने वाले आवेदनों पर रोक लगाई गई है, जिसकी वजह से स्टूडेंट वीजा को अनुमति नहीं मिल पा रही है। सूत्रों के अनुसार कनाडा में हर तरह के वीजा को मिलाकर करीब साढे़ सात लाख आवेदन लंबित चल रहे हैं।
विद्यार्थियों ने ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग से और कनाडा सरकार के अधिकारियों से वहां के विश्वविद्यालयों में नामांकित छात्रों के सामने आ रही समस्याओं पर गौर करने की अपील की है। इनमें कुछ विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने कॉलेजों में दाखिला और ट्यूशन फीस जमा करवा दी है और अब अपने वीजा और छात्र परमिट की प्रक्रिया में देरी की वजह से परेशान हैं। इसकी वजह से हजारों विद्यार्थी शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि बीते जुलाई माह तक इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया गया था। इस दौरान ओटावा में भारतीय अधिकारी और टोरंटो और वैंकूवर में वाणिज्य दूतावास ने शैक्षणिक संस्थानों और कनाडा सरकार के प्रतिनिधियों से यह मसला उठाया भी था, लेकिन इसका समाधान नहीं हो सका।
सूत्र बताते हैं कि इस प्रक्रिया को पूरी होने में अभी छह माह का और समय लग सकता है। वहीं, पंजाब के इमीग्रेशन कंसल्टेंट रितेश गर्ग ने बताया कि आवेदन ज्यादा होने की वजह से यह समस्या पेश आई है। हालांकि हर साल 45 फीसदी आवेदन किसी न किसी वजह से रद्द होते हैं। इस प्रक्रिया को छह माह तक का समय लग सकता है। जिन विद्यार्थियों ने फीस जमा करवा दी है, उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति उनके संस्थानों द्वारा दी जा रही है।
पंजाब-कनाडा एसोसिएशन के समन्वयक पवन तलवार और हिमाचल-कैनेडियन एसोसिएशन के समन्वयक दीपक लठ ने बताया कि कनाडा के शैक्षणिक संस्थानों में आवेदन का एक साल का बैकलॉग चल रहा है, जिसकी वजह से और दाखिलों की फिलहाल गुंजाइश नहीं है। हिमाचल और पंजाब के विद्यार्थियों को पेश आ रही समस्या को संघ के अध्यक्ष के ध्यान में लाकर इसका समाधान करवाया जाएगा।
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