अदालत में पेश करने से पहले फेज 6 स्थित सिविल अस्पताल से कपूर का मेडिकल करवाया गया। इसके बाद दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज ने एआईजी को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दे दिए।
विजिलेंस ने रिमांड खत्म होने के बाद एआईजी आशीष कपूर को सोमवार को अदालत में पेश किया। अदालत में पेश करने से पहले फेज 6 स्थित सिविल अस्पताल से कपूर का मेडिकल करवाया गया। इसके बाद दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज ने एआईजी को न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दे दिए। इसी के साथ विजिलेंस अपनी जांच करती रहेगी।
यह है मामला
साल 2016 में आशीष कपूर केंद्रीय जेल अमृतसर में अधीक्षक के पद पर थे। उसी दौरान कुरुक्षेत्र निवासी पूनम राजन से उनकी दोस्ती हुई थी जो किसी मामले में न्यायिक हिरासत में चल रही थी। साल 2018 में पूनम राजन, उसकी मां प्रेम लता, भाई कुलदीप सिंह व भाभी प्रीति के खिलाफ जीरकपुर थाने में एक धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। जब सभी पुलिस रिमांड पर चल रहे थे तो उस दौरान आशीष कपूर जीरकपुर थाने पहुंचे।
उन्होंने पूनम राजन की मां प्रेम लता को आश्वस्त किया कि वह उन्हें इस केस में बरी करवाएंगे। इसके बाद कपूर ने थाना जीरकपुर के तत्कालीन एसएचओ पवन कुमार व एएसआई हरजिंदर सिंह के साथ मिलीभगत कर पूनम की भाभी प्रीति को निर्दोष घोषित करवा दिया। धोखाधड़ी के केस में बरी करवाने की एवज में एआईजी आशीष कपूर ने एक करोड़ रुपये की रिश्वत ली। आशीष कपूर ने एएसआई हरजिंदर के माध्यम से एक करोड़ रुपये के चेक पर प्रेम लता के हस्ताक्षर करवाए। वहीं उन चेकों को अपने परिचितों के नाम से जमाकर हरजिंदर के माध्यम से कैश करवाया लेकिन बाद में इसी मामले में कपूर के खिलाफ शिकायत दी गई।