पंजाब

मानसून से पहले बुआई से घट रहा है भूजल, इस राज्य के कृषि विभाग ने 20 जून तक रोपाई टालने का दिया प्रस्ताव

Admin2
1 May 2022 4:42 AM GMT
मानसून से पहले बुआई से घट रहा है भूजल, इस राज्य के कृषि विभाग ने 20 जून तक रोपाई टालने का दिया प्रस्ताव
x
आंकड़ों के अनुसार एक किलोग्राम धान में 3,367 लीटर पानी की खपत होती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : देश के बड़े भूभाग में रबी का सीजन खत्म होने की तरफ है. जिसके तहत इन दिनों गेहूं की कटाई (Wheat Harvesting) अंतिम चरण में है.

इस बीच कई राज्यों में खरीफ सीजन के तहत धान की खेती (Paddy Farming) की तैयारियां भी शुरू हो गई है. जिसमें पंजाब (Punjab) भी शामिल है.
इस बीच पंजाब के कृषि विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. पंजाब के कृषि विभाग ने 20 जून तक राज्य में धान की रोपाई टालने का प्रस्ताव पंजाब सरकार को दिया है.कृषि विभाग ने अपने प्रस्ताव में धान की खेती को मानसून से जोड़ने का सुझाव दिया है. जिसका उद्देश्य राज्य के घटते भूजल स्तर को बचाना है.
असल में कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के आंकड़ों के अनुसार एक किलोग्राम धान में 3,367 लीटर पानी की खपत होती है. वहीं एक किलोग्राम धान से 660 ग्राम चावल का उत्पादन होता है.
मानसून से पहले होने धान की बुआई से पंजाब में भूजल स्तर घट रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए पंजाब के कृषि विभाग ने यह सिफारिश की है.वहीं राज्य कृषि विभाग चाहता है कि पंजाब के किसान धान की ऐसी किस्मों की बुआई ना करें तो तैयार होने में अधिक समय लेती हैं.
असल में धान की कई किस्में नसर्री से कटाई तक 165 दिन में तैयार होती है. कृषि विभाग का कहना है कि ऐसी किस्में अधिक पानी सोखती हैं,फसल अवशेष अधिक होता है, परिपक्व होने में लगभग पांच महीने लगते हैं. जो पर्यावरण के लिए नुकसान दायक है.
पंजाब सरकार के पास धान की खेती को नियंत्रित करने का अधिकार हैं. असल में पंजाब सरकार ने पंजाब उप-जल संरक्षण अधिनियम 2009 कानून बनाया है.जिसके प्रावधान के तहत सरकार धान रोपाई शुरू करने की तारीख को अधिसूचित करती है. असल में 2006 से राज्य सरकार ने धान की रोपाई को स्थगित करने के प्रयास शुरू किए,
जिसको लेकर 2008 में पहली अधिसूचना जारी की गई थी और अगले साल एक कानून पारित किया गया.2008 में धान की बुआई को 10 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया था और 2014 से इसे 15 जून तक बढ़ा दिया गया था.
वहीं 2018 में यह 20 जून था. हालांकि 2019 में तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 13 जून से धान की खेती करने की मंजूरी दी थी.
वहीं 2020 और 2021 में भी बुआई का कार्यक्रम अपरिवर्तित रहा.
Next Story