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लुधियाना : लुधियाना जिले के करीब 100 गांवों और इलाकों को नशे के केंद्र के रूप में पहचान जाता है। प्रशासन की इस पुष्टि से स्थिति गंभीर होती दिख रही है। अधिकारियों ने बताया कि यह जानकारी जिला प्रशासन द्वारा निचले स्तर पर नशे के आदी लोगों की पहचान कर उनमें सुधार लाने के लिए चलाए गए विशेष अभियान के तहत की गई है। डी.सी. सुरभि मलिक ने कहा कि पुलिस, सेहत तथा सिविल प्रशासन द्वारा नशे के केंद्र की पहचान करने तथा सूचना, शिक्षा तथा संचार (आई.ई.सी.) गतिविधियां शुरू करने के लिए व ड्रग्स से निपटने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि सब डिवीजनों के लिए एस.डी.एम. को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
खन्ना के अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर अमरजीत बैंस ने बताया कि एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत दर्ज मामलों की संख्या, क्षेत्र में नशा करने वालों की संख्या और नशीले पदार्थों के संबंध में प्राप्त शिकायतों को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि नशे का केंद्र भी विभिन्न स्तरों के हैं, जिनमें किसी को गंभीर समस्या हो रही थी तो किसी को कम। लुधियाना ईस्ट सब-डिवीजन में 28 ड्रग सेंटर और लुधियाना वेस्ट अर्बन सब-डिवीजन में 27 ड्रग सेंटर्स की पहचान की गई। अन्य के अलावा, जगराओं में 12, पायल में 11, समराला में 9, रायकोट में 6 और खन्ना में 3 ड्रग केंद्र की पहचान की गई है।
डी.सी. ने कहा कि एस.डी.एम. नियमित रूप से अपने क्षेत्रों में तलाशी अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थ रखने वाले लोगों को हिरासत में लेकर एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य नशामुक्ति केंद्रों में नशा करने वालों को प्रवेश देकर सुधार लाना है। पुलिस कमिश्नर डॉ. कौस्तुभ शर्मा ने कहा कि न केवल अधिकांश नशीले पदार्थ बरामद किए गए हैं बल्कि इस वर्ष गिरफ्तारियों और एन.डी.पी.एस. के मामलों की संख्या पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक है।
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न्यूज़ क्रेडिट : punjabkesari
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