पंजाब

अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 300 बेड उपलब्ध

Ritisha Jaiswal
25 Aug 2022 8:40 AM GMT
अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 300 बेड उपलब्ध
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करीब 9 साल के लंबे इंतजार के बाद मौत से जंग लड़ रहे उत्तरी भारत खासकर पंजाब के कैंसर के मरीजों में बुधवार को एक नए जीवन की आस जगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहाली स्थित न्यू चंडीगढ़ में होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया

करीब 9 साल के लंबे इंतजार के बाद मौत से जंग लड़ रहे उत्तरी भारत खासकर पंजाब के कैंसर के मरीजों में बुधवार को एक नए जीवन की आस जगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहाली स्थित न्यू चंडीगढ़ में होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया. यह सेंटर अब पंजाब समेत हिमाचल, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों को कैंसर से बचाने में संजीवनी का काम करेगा. अस्पताल में लोगों की जरूरत के हिसाब से ओपीडी, रेडियोलॉजी, रेडियोथेरेपी बोन मैरो ट्रांसप्लांट तक की सेवाएं मौजूद हैं.

हालांकि कैंसर अस्पताल में जून माह में ही सेवाएं शुरू कर दी गई थी. लेकिन इसका बुधवार को विधिवत रूप से उद्घाटन किया गया है. परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा शुरू किए गए इस सेंटर में 40 से अधिक डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी है. सरकार की योजना हे कि ओपीडी में बढ़ते हुए मरीजों की संख्या के अनुरूप डॉक्टरों की और संख्या बढ़ाई जाएगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल में अभी रोजाना 100 से ज्यादा मरीज ओपीडी में आ रहे थे. लेकिन अब इसके औपचारिक रूप से शुरू होने पर मरीजों की संख्या में भारी इजाफा होने की संभावना है. अस्पताल के रेडियोलॉजी युनिट में दिन में करीब 125 मरीजों की जांच की सुविधा उपलब्ध है. जबकि अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 300 बेड उपलब्ध हैं.
प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी में कई टीमें तैनात
प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी के तहत अस्पताल में कई टीमें तैनात की गई है. इन टीमों का उद्देश्य गांव-गांव जाकर शिविर लगाना भी है. टीम शिविर में लोगों को कैंसर के प्रारंभिक लक्षण एवं उसके उपचार के बारे में जागरूक करेगी. इसके अलावा प्रारंभिक लक्षणों वाले व्यक्तियों की जांच भी यह टीमें करेगी. अगर उन्हें किसी प्रकार के कैंसर की पुष्टि होती है तो उन्हें इलाज से संबंधित सभी जानकारियां भी देगी.
किन कारणों से हो रहा है कैंसर इस पर भी होगा रिसर्च
अस्पताल में विभिन्न राज्यों से आने वाले कैंसर के मरीजों पर यह भी रिसर्च की जाएगी कि उन्हें किन कारणों से कैंसर हुआ है, जिससे भविष्य में उनके इलाके में जाकर कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में ही रोकने के उपाय किए जाएंगे. वर्ष 2013 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने मालवा क्षेत्र से उर्वरक और मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण किया था, जिसमें भारी मात्रा में यूरेनियम की सांद्रता पाई गई.
पंजाब के सात जिले सबसे ज्यादा प्रभावित
मालवा क्षेत्र के सात जिले बठिंडा, फरीदकोट, मोगा, मुक्तसर, फिरोजपुर और मानसा के किसानों को पिछले काफी समय से कैंसर और अन्य रोगों से जूझना पड़ रहा है. पंजाब में हर साल कैंसर के मरीजों के इलाज पर मुख्यमंत्री राहत कोष से करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष योजना के तहत साल 2019 में 6122 मरीजों पर 85 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई थी. डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले पंजाब के एक गांव में कैंसर से साल में औसतन 45 लोगों की मौत हो जाती है.
जिंदगी की नई किरण दिखाती कैंसर ट्रेन
पंजाब में कैंसर के मरीजों को जिंदगी की नई किरण दिखाने वाली एक ट्रेन का नाम ही कैंसर ट्रेन पड़ गया है. पूछताछ खिड़की पर अक्सर लोग इस ट्रेन की पूछताछ कैंसर ट्रेन बोलकर ही करते हैं. अब तो रेलवे कर्मचारी भी इस नाम के आदी हो गए हैं और उन्हें कोई आपत्ति नहीं होती. दरअसल, रोजाना रात 9 बजकर 25 मिनट पर बठिंडा से बीकानेर तक जाने वाली इस ट्रेन में लगभग 200 से ज्यादा कैंसर मरीज उसमें सवार होते हैं. सबकी मंजिल बीकानेर का आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर ट्रीटमेंट और रिसर्च सेंटर होती है. पंजाब के सबसे करीब इस कैंसर अस्पताल में पंजाब के लोग कैंसर ट्रेन से बीकानेर आते हैं.
किस तरह के कैंसर के शिकार हैं लोग
विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में ज्यादातर केस हड्डी और ब्लड कैंसर के हैं. इनमें से अधिकांश जेनेटिक हैं. पुरुषों में कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू सेवन है, जबकि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि पंजाब में कैंसर के मामले में बढ़ोतरी की वजह पानी में यूरेनियम के साथ-साथ आधुनिक जीवनशैली भी है.
मालूम हो कि अस्पताल सरकार द्वारा 663.74 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. वहीं पंजाब सरकार ने अस्पताल के लिए करोड़ों रुपये की 50 एकड़ जमीन फ्री में दी है. दिसंबर 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अस्पताल की नींव रखी थी. पहले इसे 2018 में शुरू होना था लेकिन टेंडर में देरी हुई. कई बार प्रोजेक्ट के संपन्न होने की तारीख भी बदली गई..


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