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Amritsar अमृतसर। गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के अवसर पर भारत से सिख श्रद्धालुओं का एक विशाल जत्था रविवार को पाकिस्तान रवाना हुआ। कुल 1,796 तीर्थयात्री आज अटारी-वाघा सीमा पार कर विशेष अनुमति के तहत पड़ोसी देश पहुंचे। वे 5 नवंबर को मनाए जाने वाले प्रकाश पर्व के मुख्य धार्मिक आयोजनों में भाग लेंगे। तीर्थयात्रियों का यह जत्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और भारत सरकार के सहयोग से रवाना किया गया। अमृतसर से रवाना होने से पहले श्रद्धालुओं ने स्वर्ण मंदिर में अरदास की और गुरु नानक देव जी के उपदेशों पर चलने का संकल्प दोहराया। जत्थे में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के श्रद्धालु शामिल हैं।
अटारी-वाघा बॉर्डर पर दोनों देशों के अधिकारियों ने पारंपरिक तरीके से यात्रियों का स्वागत किया। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (PSGPC) और इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और ठहरने के विशेष इंतजाम किए हैं। यात्रियों को ननकाना साहिब, करतारपुर साहिब, पंजा साहिब और डेरा साहिब (लाहौर) जैसे प्रमुख ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन कराने की योजना है। इस अवसर पर SGPC की अध्यक्ष बलदेव सिंह क्यारा ने कहा कि गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व केवल सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए शांति, समानता और प्रेम का संदेश देने वाला दिन है। उन्होंने कहा, “गुरु नानक देव जी ने इंसानियत को जात-पात, भेदभाव और हिंसा से ऊपर उठने का मार्ग दिखाया, उनकी शिक्षाएं आज भी विश्व को दिशा दे रही हैं।”
प्रकाश पर्व समारोह का मुख्य आयोजन 5 नवंबर को ननकाना साहिब गुरुद्वारा में होगा, जहां गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। यहां विशेष कीर्तन, गुरुबाणी पाठ, लंगर सेवा और नगर कीर्तन का आयोजन किया जाएगा।
पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी भी इन कार्यक्रमों में शामिल रहेंगे और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं की निगरानी करेंगे।
भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक यात्राओं को लेकर यह यात्रा 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल ऑन विजिट टू रिलीजियस श्राइंस के तहत की जा रही है, जिसके अंतर्गत हर साल सीमित संख्या में भारतीय सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान जाने की अनुमति दी जाती है।
सिख श्रद्धालु इस अवसर को बेहद भावनात्मक मानते हैं। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि वर्षों बाद ननकाना साहिब में माथा टेकने का अवसर मिलना उनके लिए सौभाग्य की बात है।
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