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प्रधानमंत्री शाहबाज एससीओ बैठक में हिस्सा लेंगे

Sonam
1 July 2023 5:03 AM GMT
प्रधानमंत्री शाहबाज एससीओ बैठक में हिस्सा लेंगे
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दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी के आमंत्रण पर चार जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में वर्चुअल माध्यम से शामिल होंगे। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह ऐलान किया। एक बयान में कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में शरीफ की भागीदारी यह दर्शाती है कि पाकिस्तान एससीओ को बहुत अहमियत देता है जो क्षेत्रीय सुरक्षा, समृद्धि और क्षेत्र के साथ जुड़ाव को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। इसमें कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की 23वीं बैठक में भाग लेंगे जिसका आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये 4 जुलाई, 2023 को होगा।’’ बयान के मुताबिक, एससीओ के मौजूदा अध्यक्ष की हैसियत से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया गया है।

इस बैठक में महत्वपूर्ण वैश्विक तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर और एससीओ के सदस्य देशों के बीच सहयोग की भावी दिशा तय करने पर चर्चा की जाएगी। इस साल संगठन के नये सदस्य के तौर पर ईरान का भी स्वागत किया जाएगा। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा की गई थी। एससीओ की अध्यक्षता करने का दायित्व इसके सदस्य देशों को चक्रीय आधार पर मिलता है। भारत को इसकी अध्यक्षता पिछले साल 16 सितंबर को आयोजित समरकंद शिखर सम्मेलन में सौंपी गई। विदेश मंत्रालय ने मई में ऐलान किया कि भारत एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी चार जुलाई को वर्चुअल माध्यम से करेगा।

इसके पहले मई में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गोवा में एससीओ की अहम बहुपक्षीय बैठक में हिसा लिया था। भुट्टो जरदारी जुलाई 2011 में हिना रब्बानी खार की भारत यात्रा के बाद से ऐसे पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री हैं, जिन्होंने भारत का दौरा किया। पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के बालाकोट में फरवरी 2019 में जैश ए मोहम्मद के आतंकी शिविर पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों द्वारा किये गये हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव आ गया। उसी वर्ष, जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को वापस लेने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और बिगड़ गए।

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