योगी सरकार प्रदेश में भले ही एनकाउंटर और बुलडोजर चलाने के लिए मशहूर हो चुकी हो। लेकिन प्रदेश में सबसे ज्यादा खतरा कानून व्यवस्था के लिए शराब माफियाओं ने दिया है। यह शराब माफिया कुख्यातों से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं। 3 साल में 260 की जान जहरीली शराब ने ली है। यह तो वह मौत हैं जो प्रदेश स्तर पर शराब कांड में चर्चाओं में रही हैं। गांव से शहर तक कितनी जान गई होंगी वह अलग हैं। हर तीन माह में एक शराब कांड हो रहा है। बुलडोजर इन शराब माफियाओं पर चलना चाहिए। जिन्होंने 260 घरों की जिंदगी उजाड़ दी। जहरीली शराब मामले में लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय भी नप चुके हैं। इनके अलावा छह माह पहले ही आबकारी आयुक्त पी. गुरु प्रसाद पर भी कार्रवाई हुई। लेकिन उसके बाद भी जहरीली शराब का मामला नहीं थमा। पंचायत चुनाव के बाद अलीगढ़ जिले में 105 मौत हुईं। हर बार यूपी में जब भी चुनाव शुरू होते हैं तो जहरीली शराब जानलेवा बनती है। आजमगढ़ शराब कांड अभी तक 13 लोेगों की जान ले चुका है। यहां माहुल कस्बे के सरकारी ठेके से तीन दिन तक जहरीली शराब बिकी। जब जहरीली शराब से लाशें गिरनी शुरू हुईं और लोगों की आंखों की रोशनी जानी शुरू हुई। तब यहां पुलिस प्रशासन की नींद टूटी है। यहां 40 लोगों को अलग अलग अस्पताल में भर्ती कराया गया है, इनमें कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। डीएम और एसपी आरोपियों की संपत्ति कुर्क और रासुका लगााने की बात कह रहे हों लेकिन इन 13 लोगों की तो जान जा चुकी है। अलीगढ़ के टप्पल और अकबराबाद क्षेत्र में 28 मई 2021 से जहरीली शराब पीने से मौत का सिलसिला शुरू हुआ। पूरे जिले में 105 जान जहरीली शराब से चली गई। जब यह मामला लखनऊ तक गूंजा तो इस मामले में संयुक्त आबकारी आयुक्त, उप आबकारी आयुक्त के अलावा पांच अन्य आबकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया था। बाद में शराब माफियाओं की करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर घर भी ढ़हाए गए।
12 मई 2021 को आजमगढ़ जिले में जहरीली शराब पीकर 33 लोग मौत की नींद सो गए थे। शराब पीने के बाद इन लोगों की आंख की रोशनी कम होती गई और फिर ये लोग हमेशा के लिए सो गए। इस मामले में आबकारी और सिविल पुलिस के अधिकारी-कर्मचारी सस्पेंड किए गए थे। लगातार मौत होने पर ही यहां शासन ने कार्रवाई की थी। 9 जनवरी 2021 को बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद क्षेत्र स्थित जीतगढ़ी गांव में जहरीली शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गई। 20 से ज्यादा लोग बीमार पड़ गए। इस मामले में आबकारी विभाग के तीन बड़े अधिकारी चार्ज से हटा दिए गए। चार इंस्पेक्टर-सिपाहियों को सस्पेंड किया गया। जबकि सिविल पुलिस के कुछ लोगों पर भी कार्रवाई की गाज गिरी थी। प्रयागराज में 17 मार्च 2021 को जहरीली शराब पीकर 14 लोगों की मौत हो गई। इससे एक महीने पहले भी एक-एक करके 16 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि पोस्टमार्टम न कराने और रिपोर्ट में शराब से मौत की पुष्टि नहीं होने से प्रशासन ने इन्हें अपने रिकॉर्ड में नहीं लिया था। 10 मई 2021 को यूपी के अंबेडकरनगर में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत हुई। पहले आजमगढ़ में शराब से मौत होनी शुरू हुईं, उसके बाद जहरीली शराब का कहर अंबेडकरनगर तक पहुंचा। जहां एक दिन में ही पांच लोगों की मौत हुई थी। पुलिस की जांच में सामने आया था मिलावटी शराब देहात क्षेत्र में लाई गई, जिसे पीने से मौतें हुई थीं। एक अप्रैल 2021 को यूपी के बदायूं में शराब ने तीन लोगों की जान ले ली। पहले तो जिला प्रशासन शराब से मौत होने से इंकार करता रहा। लेकिन जब मरने वाले लोगों के परिजनों ने हंगामा किया तब जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए। लापरवाही में आबकारी इंस्पेक्टर विनायक मिश्र और मूसाझाग थाना प्रभारी अमित कुमार को निलंबित किया गया। अधिकारी यहां लगातार शराबकांड को दबाने में लगे रहे। मार्च 2021 में यूपी के चित्रकूट में जहरीली शराब ने 7 लोगों की जान ली। 15 से ज्यादा लोगों की जब हालत बिगड़ी तो अस्पताल में इलाज चला। जब चित्रकूट में जहरीली शराब कांड का मामला शासन तक गूंजा तो शासन ने राजापुर के एसडीएम राहुल कश्यप, सीओ रामप्रकाश और इंस्पेक्टर अनिल कुमार समेत 11 को निलंबित किया था। अप्रैल 2021 में यूपी के हाथरस में जहरीली शराब ने 5 लोगों की जान ली। पहले तो पुलिस पूरे मामले को दबाने में लगी रही। लेकिन जब शासन तक यह मामला शुरू हुआ तो थाना पुलिस पर गाज गिरी। यह मामला हाथरस के सिंघी गांव था। जहां शराब पीने से एक ही दिन में पांच लोगों की मौत हुई और 12 से अधिक लोगों की हालत बिगड़ी थी। प्रतापगढ़ में अप्रैल 2021 में जहरीली शराब कांड में 7 लोगो की मौत हुई। जहां लगातार पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठे। बाद में शासन ने अपर पुलिस अधीक्षक दिनेश द्विवेदी और सीओ कूंडा जितेंद्र सिंह परिहार को निलंबित कर दिया था। जिसमें आरोप लगे थे की पुलिस की मिलीभगत से देहात इलाके में जहरीली शराब सप्लाई की जाती थी।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नवंबर 2020 में जहरीली शराब से 6 लोगों की मौत हुई थी। इसमें शासन ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को भी हटा दिया था। पुलिस की खूब किरकिरी हुई। इसके बाद पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया गया और पुलिस कमिश्नर शराब कांड में कुर्सी गंवा बैठे। यह घटना 13 नवंबर 2020 की थी। नौ फरवरी 2019 को यूपी में सहारनपुर और उत्तराखंड में रुड़की खादर के कई गांवों में तमाम लोगों ने जहरीली शराब का सेवन किया। प्रशासन ने अपने रिकॉर्ड में सहारनपुर में 55 मौत होना बताया था। कुछ मौतें रुड़की में भी हुई थीं। इस मामले में 25 लोग जेल गए थे। उस वक्त अवैध शराब बनाने का धंधा बंद हुआ, लेकिन कुछ दिनों बाद यह शुरू हो गया।
जिला - शराब से मौत
•आजमगढ़ - 13
•अलीगढ़ - 105
•आजमगढ़ - 33
•बुलंदशहर - 06
•प्रयागराज – 14
•अंबेडकरनगर – 05
•बदायूं – 03
•चित्रकूट – 07
•हाथरस - 05
•प्रतापगढ़ – 07
•लखनऊ – 06
•सहारनपुर – 55