ओडिशा

सांसें बंद होने के बाद भी बजती रही मोबाइल, फिर घर वालों को मिली ये सुचना

mukeshwari
3 Jun 2023 5:30 PM GMT
सांसें बंद होने के बाद भी बजती रही मोबाइल, फिर घर वालों को मिली ये सुचना
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ओडिशा के बालासोर जिले में बहानागा रेलवे स्टेशन के पास हुए दर्दनाक हादसा हुआ। कोरोमंडल एक्सप्रेस की टक्कर एक मालगाडी से हुई और 21 डिब्बे पटरियों से उतर गए। दो जून की शाम 7 बजे हुआ दर्दनाक हादसे ने सोए हुए बहानागा को अचानक राष्ट्रीय पहचान दिला दी। लेकिन, कम ही लोग अपने शहर को इस तरह से तवज्जो पाते देखना पसंद करेंगे। इस हादसे में करीब 288 लोगों की जान चली गई। देश की तमाम ताकतें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगाहें घटनास्थल पर जम गईं। अगले दिन यानी आज (तीन जून) भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। लाशों के ढेर को पलटी हुई बोगियों से निकालकर पिक-अप और ट्रकों में लादा गया। गर्मी की छुट्टी के कारण बंद पड़े बहानागा हाई स्कूल को कामचलाऊ मुर्दाघर में बदला गया। सभी बेजान लाशों को रखा गया। फर्श पर बिखरी पड़ी लाशों से रिंगटोन गूंज रही थी। निश्चित रूप से, परिवार वाले अपनों की बेहतरी जानने के लिए फोन कर रहे होंगे। लेकिन, उनको क्या मालूम कि यहां सांसे अब थम चुकी हैं।

वहीं, लाशों के ढेर में मोबाइल की रिंग अपनों का हाल पूछती नजर आई। इतना ही नहीं, लाशों के बीच अपनों की पहचान करने के लिए दौड़ पड़े लोगों की मदद भी मोबाइल रिंगटोन ने की। इन्ही में एक पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनपुर जिले के असिति मैती थे। जिन्होंने बताया कि मेरे पांच साथी कोरोमंडल एक्सप्रेस में थे। उनमें से एक भोलानाथ गिरि थे, जो ट्रेन से चेन्नई जा रहे थे। दुर्घटना की खबर हम बहनागा पहुंचे, यह पता लगाने के लिए कि हमारे 5 करीबी दोस्तों के साथ क्या हुआ? जैसे ही मैंने भोला को फोन किया, एक अज्ञात व्यक्ति ने जवाब दिया। उन्होंने मुझे भोला के शरीर तक पहुंचाया। हालांकि, गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद एक बार फिर से स्कूल खुल जाएगा। स्थिति भी सामान्य हो जाएगी। लेकिन, हताशा और पीड़ा के दृश्य आने वाले समय में बच्चों और अभिभावकों को परेशान करते रहेंगे।

'लाशों के ढेर के बीच जाना मुश्किल था' रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल एक स्थानीय सुरेंद्र राउत ने बताया कि 2 जून की रात 8 बजे के आसपास कोचों से कई फोन बजते रहे। हादसे के शिकार ज्यादातर पश्चिम बंगाल के थे। लाशों के ढेर के बीच जाना एक कठिन काम था। बोगियां इधर-उधर बिखरी पड़ी थीं। ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स, नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और ओडिशा फायर सर्विस के कर्मियों ने शवों को निकालने के लिए ओवरटाइम भी किया।




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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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