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विस्थापित इसाई समुदाय के लोगों के दुख दर्द का गवाह
राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की स्थापना के लिए जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापित इसाई समुदाय के लोगों का दुख दर्द का गवाह है झीरपानी आरसी चर्च। झीरपानी में विस्थापितों के पुनर्वास कालोनी के निर्माण के साथ ही इस चर्च का भी निर्माण रोमन कैथलिक मिशन के द्वारा किया गया। आज इस चर्च से चार हजार से अधिक इसाई धर्मावलंबी परिवार जुड़े हैं। यह शहर का दूसरा सबसे बड़ा चर्च माना जाता है। इस वर्ष भी यहां क्रिसमस की तैयारियां की जा रही है। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए यहां सभी कार्यक्रम आयोजित होंगे।
झीरपानी चर्च का इतिहास
झीरपानी में 1954 में पुनर्वास कालोनी का निर्माण किया गया था। तब यहां छोटे चर्च का निर्माण हुआ जहां लोग प्रभु यीशु से प्रार्थना के लिए आते थे। बाद में 1961 में इसे बड़ा आकार दिया गया। इस्पात संयंत्र की स्थापना के दौरान राउरकेला व आसपास के 32 से अधिक राजस्व गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। तब इस क्षेत्र में बने गिरजाघर भी टूटे थे। पुनर्वास कालोनी निर्माण के समय विस्थापितों के लिए इस चर्च का निर्माण कराया गया। विस्थापित परिवार के सदस्य तब से यहां आकर अपने दुख में साथी बनने को प्रभु यीशु से प्रार्थना करते रहे हैं।
असहाय व जरूरतमंदों की सेवा
झीरपानी चर्च में असहाय व जरूरतमंदों की सेवा के लिए भी जाना जाता है। चर्च के जरिये जरूरत मंदों को हर तरह की सहायता दी जाती है। बीमार लोगों के इलाज के लिए सहयोग समेत उनके स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना भी की जाती रही है। संप्रदाय से जुड़े गरीब परिवार के बच्चों की अच्छी शिक्षा एवं उन्नति पर भी ख्याल रखा जाता है।
क्रिसमस की तैयारी
झीरपानी आरसी चर्च से चार हजार से अधिक इसाई परिवार के लोग जुड़े हैं। क्रिसमस को लेकर चर्च में विशेष तैयारियां की गई हैं। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए यहां क्रिसमस कैरोल एवं प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा। 24 दिसंबर को बड़ा दिन पर विशेष कार्यक्रम होगा। इस साल कोरोना के चलते भीड़ पर पाबंदी के कारण केवल औपचारिकता पूरी की जाएगी। यहां यीशु के जन्म की झांकी बनाने के साथ साथ उनकी जीवनी के संबंध में लोगों को अवगत कराने के लिए स्टाल भी लगेंगे। बड़े दिन पर लोग यहां विशेष प्रार्थना करने के साथ ही यीशु के जन्म दिन पर एक दूसरे को बधाई देंगे। अधिकतर लोग घरों से ही बड़े दिन की प्रार्थना करेंगे। चर्च से फेसबुक पर ऑनलाइन प्रार्थना का प्रबंध होगा।
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Gulabi
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