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विश्व वैष्णव सम्मेलन का उद्घाटन
भुवनेश्वर/पुरी। कोरोना महामारी से विश्व को मुक्ति मिले, इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने श्रीजगन्नाथ महाप्रभु से प्रार्थना की है। गौड़ीय मिशन के प्रतिष्ठाता श्रीमद भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद की 150वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित विश्व वैष्णव सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व की विभिन्न आस्था के पीछे ईश्वर की भक्ति है। मानवता को आस्था के आधार पर नहीं बांटा जा सकता है। सत्य एक है इसे बांटा नहीं जा सकता। व्यक्ति को हर समय भगवान का स्मरण करना चाहिए। राष्ट्रपति ने श्री चैतन्य महाप्रभु के आविभार्व के संदर्भ में जानकारी दी। इसके साथ ही भक्त मीराबाई, कबीर एवं सूरदास, संत तुलसी दास, श्रीरामानुजाचार्य, गुरू नानक शंकर देव, नरसी मेहा, नारायण भट्ट, संत तुकाराम, एकनाथ, ज्ञानेश्वर आदि को भी राष्ट्रपति ने याद किया।
समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उत्सव में भाग लेकर आज मुझे अत्यन्त खुशी हो रही है। पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है, दुनिया को कोरोना से मुक्ति मिले, मैने महाप्रभु से कामना की है। पुरी में आकर महाप्रभु का दर्शन करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। राष्ट्रपति ने कहा कि श्री चैतन्य के आदर्श में ही भक्ति के कई मार्ग है। चैतन्य महाराज ने सभी धर्म के लोगों को प्रभावित किया था। केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी श्री चैतन्य के भक्ति के प्रमाण मिलते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण से जीवन धन्य हो जाता है। संत अपनी भक्ति मार्ग के जरिए पूरे देश को एक सूत्र में बांधकर रखे है। सेवा भाव हमारी संस्कृति का मूलमंत्र है। महामहिम ने कोरोना काल में लोगों के सेवा कार्य की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मठ परिसर में एक पौधा भी लगाया।
हरे कृष्ण महामंत्र आंदोलन के अन्यतम अग्रणी संत भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद के 150 वें जयंती के उपलक्ष में पुरी स्थित गौड़ीय मठ को भव्य तरीके से सजाया संवारा गया है। फुल एवं संत गुरु के फोटो चित्र से श्री चैतन्य गौडीय मठ को सजाया गया है। 3 दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश भर से साधु संतों का समागम हुआ है। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति की पत्नि सविता कोविंद, राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व अन्य कई विशिष्ट व्यक्ति विशेष उपस्थित थे। इस अवसर पर एक स्मरणिका का भी राष्ट्रपति ने विमोचन किया।
विश्व वैष्णव सम्मेलन का उद्घाटन करने से पहले राष्ट्रपति श्री चैतन्य गौड़ीय मठ को गए थे। पूर्वाह्न 10 बजकर 35 मिनट पर यहां पहुंचे। यहां पर मौजूद चतुर्धा मूर्ति, राधाकृष्ण एवं श्री चैतन्य का दर्शन किए। पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ ही दीप प्रज्ज्वलित किए। मठ में महामहिम के स्वागात के लिए मठ को पूरी तरह से सजा संवार दिया गया था। यहां महामहिम ने सूखे प्रसाद का भी सेवन करने की जानकारी सुधाद्वैती महाराज ने दी है।
यहां उल्लेखनीय है कि श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में आने वाले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देश के दुसरे राष्ट्रपति हैं। इससे पहले 1986 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञान जैल सिंह ने भी इस मठ का परिदर्शन किया था।
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