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विश्व हिंदू परिषद ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी (MoC) के लिए ओडिशा सरकार द्वारा 78 लाख रुपये मंजूर किए जाने का कड़ा विरोध किया है।
विश्व हिंदू परिषद ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी (MoC) के लिए ओडिशा सरकार द्वारा 78 लाख रुपये मंजूर किए जाने का कड़ा विरोध किया है। दरअसल 4 जनवरी को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य में मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित 13 संस्थानों का समर्थन करने के लिए सीएमआरएफ से 78.76 लाख रुपये मंजूर किए थे। ओडिशा सीएमओ की ओर से ये जानकारी दी गई। हालांकि अब विहिप ने इसका विरोध किया है। विहिप का कहना है कि ये संस्था धर्मांतरण कराती है।
यह करदाताओं का पैसा है: विहिप महासचिव
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक विहिप महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा, "विहिप मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए ओडिशा सरकार द्वारा 78 लाख रुपये मंजूर किए जाने का कड़ा विरोध करती है। यह करदाताओं का पैसा है। मिशनरीज ऑफ चैरिटी धर्मांतरण में शामिल है। किसी भी मुख्यमंत्री को हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करने वाले संगठन को पैसा देने का अधिकार नहीं है।"
900 से अधिक कैदी लाभान्वित होंगे: ओडिशा सरकार
इससे पहले ओडिशा सीएमओ की ओर से कहा गया कि सीएम ने 8 जिलों में फैले MoC द्वारा संचालित 13 संस्थानों के लिए सहायता स्वीकृत की है। इस निर्णय से राज्य के विभिन्न कुष्ठ (कुष्ठ रोगियों का घर) और अनाथालयों में 900 से अधिक कैदी लाभान्वित होंगे। दरअसल केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इन संस्थानों के FCRA लाइसेंस को रिन्यूवल करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद ओडिशा सरकार ने इन संस्थानों को लाखों रुपए की मदद की है।
रद्द हो गया था मिशनरीज ऑफ चैरिटी का FCRA लाइसेंस
बता दें कि मदर टेरेसा की मिशनरीज ऑफ चैरिटी का FCRA लाइसेंस शनिवार को फिर से बहाल कर दिया गया जिसे कुछ समय पहले गृह मंत्रालय ने कथिततौर पर रद्द कर दिया था। विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) वेबसाइट के अनुसार, दो सप्ताह पहले गृह मंत्रालय ने "प्रतिकूल इनपुट" का हवाला देते हुए कोलकाता स्थित इस संगठन द्वारा प्रस्तुत FCRA नवीनीकरण अनुरोध को ठुकरा दिया था। हालांकि अब इसे बहाल कर दिया गया था।
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