ओडिशा

नीति आयोग ने कहा- देश में गरीब राज्‍यों की सूची में 9वें स्‍थान पर ओडिशा

Gulabi
27 Nov 2021 12:16 PM GMT
नीति आयोग ने कहा- देश में गरीब राज्‍यों की सूची में 9वें स्‍थान पर ओडिशा
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देश में गरीब राज्‍यों की सूची में 9वें स्‍थान पर ओडिशा
गरीबी खत्म करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से नाना प्रकार की योजनाएं चलायी जा रही हैं, मगर गरीबी है की कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। देश में गरीब राज्यों की सूची में ओडिशा 9वें स्थान पर है। प्रदेश में हर तीन आदमी में से एक आदमी गरीब है अर्थात गरीबी सीमा रेखा के नीचे जीवन यापन करता है। राज्य में 29.35 प्रतिशत लोग गरीबी सीमा रेखा के नीचे रहने की जानकारी नीति आयोग की रिपोर्ट से मिली हैं।
नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा के तीन सबसे पिछड़े जिलेनवरंगपुर, मालकानगिरी एवं कोरापुट में स्थित बहुत ज्यादा खराब है। नवरंगपुर में 59.32 प्रतिशत लोग गरीबी सीमा रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। मालकानगिरी जिले में 58.71 प्रतिशत एवं कोरापुट में 51.14 प्रतिशत लोगों की आर्थिक अवस्था बहुत ही दयनीय है। पहली बार नीति आयोग की तरफ से प्रस्तुत गरीबी रिपोर्ट में केवल पेट की भूख मिटाने या अनाहार के मानदंड को ही नहीं लिया गया है। गरीब संज्ञा निर्धार के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, परिमल, बिजली का प्रयोग, स्वच्छ इंधन प्रयोग आदि को भी विचार में लिया गया है। ओडिशा के 16 जिले में गरीबी दर राष्ट्रीय दर से अधिक है। यहां तक कि खदान संपदा से समृद्ध केन्दुझर जिले में 41.78 प्रतिशत लोग गरीबी सीमा रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
नीति आयोग के नए मानदंड के मुताबिक वर्तमान समय में देश का प्रत्येक चौथा व्यक्ति अर्थात 25.01 प्रतिशत लोग गरीब हैं। बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है यहां पर 51.92 प्रतिशत लोगों की आर्थिक अवस्था ठीक नहीं है। केरल में गरीबी संख्या सबसे कम है। यहां गरीबों की संख्या राज्य की कुल आबादी की मात्र 0.71 प्रतिशत है।
नीति आयोग के बहुमुखी गरीबी रिपोर्ट को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। राज्य की इस स्थिति के लिए विरोधी दल भाजपा एवं कांग्रेस ने बीजद को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता डा मुरली मनोहर शर्मा ने कहा है कि लगातार 22 साल तक शासन करने के बावजूद नवीन सरकार की दुरदृष्टि में कमी तथा दीर्घ मियादी योजनाओं की विफलता के कारण राज्य की यह स्थिति है।बीजद की सभी योजनाएं पार्टी के आधार पर बनायी जाती हैं। जमीनी स्तर पर सरकार की योजना पहुंचती ही नहीं है। नीति आयोग की यह रिपोर्ट उदाहरण है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि लगातार 22 साल से चल रहे नवीन सरकार की विफलता को नीति आयोग ने प्रमाणित कर दिया है। वहीं बीजद का कहना है कि गरीबी हटाने के लिए सरकार का प्रयास जारी है।
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