ओडिशा

ओडिसा कैबिनेट की बैठक में पुरी जगन्नाथ मंदिर की ही तरह लिंगराज मंदिर का संचालन लेने का हुआ निर्णय

Deepa Sahu
25 Nov 2021 9:05 AM GMT
ओडिसा कैबिनेट की बैठक में पुरी जगन्नाथ मंदिर की ही तरह लिंगराज मंदिर का संचालन लेने का हुआ निर्णय
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ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में बुधवार को वर्चुअल मोड में हुई,

Odisha: भुवनेश्वर (ओडिशा), ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में बुधवार को वर्चुअल मोड में हुई. कैबिनेट की बैठक में पुरी के जगन्नाथ मंदिर की ही तरह लिंगराज मंदिर का भी संचालन करने का निर्णय लिया गया। इस बाबत इससे संबंधित अध्यादेश को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। बताया गया कि लिंगराज मंदिर व उसके आसपास मौजूद देवी-देवताओं के मंदिर व मठों का संचालन करने के लिए सरकार ने अध्यादेश लाया है। इसमें मंदिर संचालन कमेटी का गठन, कमेटी के दायित्व, प्रशासक की नियुक्ति, मंदिर के सभी स्थायी एवं अस्थायी संपत्ति कर रखरखाव, सेवकों की भूमिका व दायित्व, मंदिर कोष की स्थापना आदि का प्रविधान किया गया है। इस अध्यादेश को राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की सलाह पर इस अध्यादेश को लाया गया है। कैबिनेट की इस बैठक में कुल 24 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें भुवनेश्वर स्थित ¨लगराज मंदिर के सुपरिचालन के लिए अध्यादेश के अलावा राज्य इलेक्ट्रानिक्स नीति 2021, ओडिशा औद्योगिक नीति- 2015 में संशोधन, कैपिटल अस्पताल में पीजी इंस्टीट्यूट तथा ट्रामा केयर के लिए भवन निर्माण हेतु 235 करोड़ रुपये के टेंडर आदि शामिल हैं।

राज्य राजस्व आपदा संचालन मंत्री सुदाम मरांडी ने कहा कि राज्य के सभी सरकारी और सरकारी अनुदान प्राप्त कालेजों तथा हाई स्कूलों के कब्जे वाली सरकारी जमीन को बिना किसी कीमत के उन्हें दे दिया जाएगा। जमीन का मालिकाना क्रमश: उच्च शिक्षा विभाग व जनशिक्षा विभाग के नाम पर होगा। विभिन्न जगहों पर कालेज स्थापित करने के लिए शहरी क्षेत्र में 10 एकड़ व ग्रामीण क्षेत्र में 15 एकड़ सरकारी जमीन मुहैया कराने के लिए वर्ष 1977 में निर्णय लिया गया था। इसी तरह से हाई स्कूल स्थापित करने के लिए शहरी क्षेत्र में दो एकड़ व ग्रामीण क्षेत्र में तीन एकड़ जमीन बिना कीमत मुहैया कराने के लिए निर्णय लिया गया था। इस निर्णय को 1988 में सरकार ने माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूल के लिए भी लागू किया था। अब कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के मुताबिक सरकारी डिग्री कालेज (स्वयंशासित व गैर स्वयंशासित) की जमीन को उच्च शिक्षा विभाग के नाम से नामित किया जाएगा।
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