ओडिशा

गलत दिशा में की जा रही जंगल अधिकार से संबंधित सुनवाई, नोटिस पाने के बाद असंतुष्ट दावेदार पुनर्विचार के लिए करेगा आवेदन

Gulabi
21 Nov 2021 1:44 PM GMT
गलत दिशा में की जा रही जंगल अधिकार से संबंधित सुनवाई, नोटिस पाने के बाद असंतुष्ट दावेदार पुनर्विचार के लिए करेगा आवेदन
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नोटिस पाने के बाद असंतुष्ट दावेदार पुनर्विचार के लिए करेगा आवेदन
जंगल अधिकार कानून-2006 व संशोधित निमयावली-2012 के तहत दावेदार के आवेदन पत्र में परिवर्तन या रद करने के लिए जिलास्तरीय कमेटी द्वारा की जा रही सुनवाई में जंगल अधिकार कानून का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। यह आरोप लोकमुक्ती संगठन की ओर से लगाया गया है। नामावली की धारा-15(1) के अनुसार, उपखंडीय स्तरीय कमेटी की ओर से लिए गए निर्णय के 60 दिन के अंदर जिलास्तरीय कमेटी के पास आवेदन कर सकते हैं। इस कानून के तहत सूचना या नोटिस पाने के बाद असंतुष्ट दावेदार पुनर्विचार के लिए आवेदन करेगा। इसके बाद नियमावली की धारा-15(1) के तहत जिलास्तरीय कमेटी आवेदनकारी को सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित कर लिखित रूप से अवगत कराएगी। सुनवाई के लिए तय की गई तारीख के 15 दिन पूर्व विज्ञप्ति के माध्यम से प्रकाशित की करेगी। परंतु असंतुष्ट दावेदारों को जिलास्तरीय कमेटी के पास पुनर्विचार के लिए लिखित आवेदन का अवसर भी नहीं दिया जा रहा है। कमेटी उन्हें गैर कानूनी व मनमर्जी से कमेटी सीधे सुनवाई के लिए घोषणा कर देती है। अभियोग कार्डियों का अभियोग पत्र भी नहीं रख रहे हैं, जिसके कारण जिले के हजारों आदिवासी-वनवासी जंगल अधिकार कानून के तहत न्याय पाने से वंचित हैं। जिले में कई वर्ष पूर्व जिलास्तरीय कमेटी के पास से अनुमोदित की गई जंगल व जमीन की स्वीकृति या पट्टा पाए हिताधिकारियों के पास भी रद किए जाने का नोटिस भेज दिया जा रहा है, जिससे पट्टा पाने वाले आदिवासी व वनवासी आक्रोशित हो रहे हैं। जिलाधीश खुद इस प्रकार की सुनवाई के नाम पर की जा रही दखल पर हस्तक्षेप कर इसे स्थगित रखें और जंगल-अधिकार कानून को सही तरीके से कार्यकारी कराएं। अब तक जो आदिवासी व वनवासी इससे वंचित रह गए हैं, उन्हे जंगल जमीन की स्वीकृति प्रदान करें। यह मांग लोकमुक्ति संगठन की ओर से की गई है।
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