ओडिशा

ओडिशा में हाथी-मानव लड़ाई की घटना में इजाफा, पिछले 1 साल में हुई 97 लोगों की मृत्यु

Gulabi
21 Jan 2022 10:16 AM GMT
ओडिशा में हाथी-मानव लड़ाई की घटना में इजाफा, पिछले 1 साल में हुई 97 लोगों की मृत्यु
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ओडिशा में पिछले एक साल में हाथी एवं मानव की लड़ाई में 97 लोगों की मृत्यु हुई
भुवनेश्वर । ओडिशा में पिछले एक साल में हाथी एवं मानव की लड़ाई में 97 लोगों की मृत्यु हुई है जबकि 96 लोग गम्भीर रूप से घायल हुए हैं। हर साल हाथी-मानव की लड़ाई रोकने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, मगर इसे रोकने में विभाग पूरी तरह से असमर्थ सिद्ध हुआ है। पिछले तीन साल का आंकड़ा देंखे तो इस साल सर्वाधिक लोगों की मौत हुई है। तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण के लिए जंगलों की कटाई होने से हाथियों का झुंड खाद्य की खोज में ग्रामीण क्षेत्र का रूख करने का आरोप ओड़िशा वाइल्ड लाइफ सोसाइटी की तरफ से लगाया गया है। हाथी मानव लड़ाई से हो रही मौत का विश्‍लेषण किया जाए तो प्रत्येक तीन में एक व्यक्ति की मौत हाथी हमले में हो रही है।
हाथियों की भी हो रही है मौत
मिली सूचना के मुताबिक वर्ष 2014 से 2022 के बीच राज्य में हाथी-मानव लड़ाई की 1145 घटनाएं हुई हैं। इसमें 730 लोगों की मौत हुई है जबकि 657 लोग घयाल हुए हैं। हाथी-मानव की लड़ाई में केवल मानव ही अपना बहुमूल्य जीवन नहीं गंवा रहा है बल्कि इसमें हाथियों की भी मौत हो रही है। 2014 अप्रैल से 18 जनवरी 2022 तक 611 हाथियों की मौत हुई है। इसमें से 191 हाथी की मृत्यु अप्राकृतिक है जबकि 90 हाथी की मौत बिजली के स्पर्श में आने से, 77 हाथी की मृत्यु शिकारियों द्वारा, 24 हाथी की मृत्यु रास्ता दुर्घटना में हुई है। हालांकि 143 हाथियों की मृत्यु का कारण अभी भी अस्पष्ट है।
वर्ष 2019 से 2022 तक इस मामले में इजाफा हुआ है। 2019 मार्च से 2020 मार्च तक 204 हाथी मानव लड़ाई मामला सामने आया था जिसमें 115 लोगों की मौत हुई है। 132 लोग घायल हुए हैं। उसी तरह से 2020 अप्रैल से मार्च 2021 के बीच हाथी-मानव की लड़ाई का 182 मामला वन विभाग ने रिपोर्ट किया है। इसमें 106 लोगों की मौत हुई है और 119 लोग घायल हुए हैं।
हाथी-मानव लड़ाई की घटना में इजाफा
इस संदर्भ में ओडिशा वाइल्ड लाइफ सोसाइटी के सचिव विश्वजीत महांति ने कहा है कि 2021 मार्च से 2022 जनवरी 18 तारीख के बीच एक साल में हाथी-मानव के बीच हुई लड़ाई की सर्वाधिक घटना सुन्दरगड़ जिले में हुई है। सुन्दरगड़ जिले में 21 लोगों की मृत्यु हुई है जबकि केन्दुझर जिले में यह संख्या 12 है। तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण के कारण हाथी-मानव लड़ाई की घटना में इजाफा हो रहा है। सुन्दरगड़ ए​वं केन्दुझर जिला में पहले से घने जंगल थे मगर अब खाद्य की कमी होने से हाथी ग्रामीण क्षेत्र का रूख कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप हाथी-मानव के बीच लड़ाई के मामले अधिक आने लगे हैं। हाथी के लिए अनुकुल ढेंकानाल जिले में पत्थर की खदान अधिक होने से यहां हाथी-मानव लड़ाई में 11 लोगों की मृत्यु हुई है। उसी तरह से अनुगुल जिले में कोयला खदान होने से यहां हाथी के हमले में 10 लोगों की जान गई है।
हाथी-मानव लड़ाई का यदि विश्लेषण किया जाए तो फिर ओडिशा में प्रत्येक दो दिन में एक व्यक्ति घायल हो रहा है और प्रत्येक तीन दिन में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। राज्य सरकार हाथी-मानव की लड़ाई रोकने के लिए करोड़ों रुपया खर्च कर रही है बावजूद इसके हाथी-मानव लड़ाई को रोकने में सरकार विफल साबित हुई है। खदान के नाम पर जंगलों को नष्ट करने, घने जंगल के बदले मझोले स्तर के जंगल की बढ़ोत्तरी कर वाहवाही लुटने से इस समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है तो फिर आगामी दिनों में यह समस्या और जटिल हो सकती है।
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