ओडिशा
भक्तों ने दो साल बाद महाप्रभु लिंगराज की रुकुणा रथयात्रा में खींचा रथ
Gulabi Jagat
9 April 2022 4:41 PM GMT
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महाप्रभु लिंगराज की रुकुणा रथयात्रा में खींचा रथ
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के बाद शनिवार को महाप्रभु लिंगराज की रुकुणा रथयात्रा निकाली गई। भक्तों की भीड़ के बीच महाप्रभु लिंगराज एकाम्र क्षेत्र से मौसी मां मंदिर पहुंचे। पूरे आध्यात्मिक परिवेश में महाप्रभु का रथ भक्तों ने खींचा। पांच दिनों तक रुकुणा रथयात्रा अनुष्ठित होगी। 13 तारीख को महाप्रभु की बाहुड़ा यात्रा की जाएगी। महाप्रभु लिंगराज की इस यात्रा को देखते हुए मंदिर परिसर व आसपास में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कोरोना के कारण 2020 में महाप्रभु की रथ यात्रा को बंद कर दिया गया था, जबकि 2021 में बिना भक्तों के रथ यात्रा निकाली गई थी। गौरतलब है कि लिंगराज मंदिर को लेकर जारी ओडिशा सरकार के अध्यादेश पर रोक लगाने और राज्यपाल के जरिये स्पष्टीकरण मांगे जाने पर राज्य सरकार की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। वहीं, ओडिशा के सत्ताधारी दल बीजद तथा कांग्रेस के नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं।
महाप्रभु लिंगराज माफ नहीं करेंगे
राज्य के संस्कृति मंत्री अशोक पंडा ने कहा कि काशी विश्वनाथ और केदारनाथ धाम के क्षेत्र में केंद्र सरकार का अलग मापदंड अपनाती है और जगन्नाथ मंदिर तथा लिंगराज मंदिर के लिए अलग मापदंड है। मंत्री ने कहा कि जो लोग भी मंदिर के विकास के प्रोजेक्ट को बंद करवाना चाहते हैं, उन्हें महाप्रभु लिंगराज माफ नहीं करेंगे। प्रोजेक्ट को लेकर दो बार केंद्र सरकार के साथ चर्चा कर विभिन्न विषयों पर स्पष्टीकरण राज्य सरकार की तरफ से दिया गया है। इसके बाद भी यदि केंद्र सरकार को प्रोजेक्ट को लेकर कुछ स्पष्टीकरण चाहिए था तो फिर वह राज्य सरकार से मांग लिया होता। हम फिर स्पष्टीकरण देते। राज्यपाल के जरिये केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगकर अपनी गलत मंशा को जाहिर किया है। उधर, कांग्रेस विधायक सुरेश राउतराय ने कहा है कि केंद्र सरकार चाहे जो कर ले, मगर वह लिंगराज मंदिर के विकास को नहीं रोक पाएगी।
जानें, क्या है मामला
भुवनेश्वर में स्थित श्रीलिंगराज मंदिर और इसके आस-पास के और आठ मंदिरों को एक विशेष कानून के दायरे में लाने के लिए ओडिशा सरकार की तरफ से जारी किए गए अध्यादेश पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने रोक लगा दी है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि यह अध्यादेश प्राचीन ऐतिहासिक पुरातत्वविद के अवशेष कानून 1958 का उल्लंघन करता है। यह भी कहा है कि लिंगराज मंदिर के आस-पास निर्माण कार्य कर राज्य सरकार इस कानून का उल्लंघन कर रही है। इस कानून के अनुसार मंदिर के 100 मीटर की परिधि को सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकता है। इसी तरह से 200 मीटर परिधि में काम करने के लिए पुरातत्वविद से अनुमति लेनी होगा। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से राज्यपाल को जानकारी दी गई है। राजभवन की तरफ से इस पर राज्य के मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा गया है। अध्यादेश लागू होने से मंदिर पर राज्य सरकार का सीधा हस्तक्षेप संभव हो जाता।
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