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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी कि डीआरडीओ ने 24 घंटे के भीतर ही छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का दूसरी बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया
बालेश्वर। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी कि डीआरडीओ ने 24 घंटे के भीतर ही छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का दूसरी बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इसके पहले 22 दिसंबर यानी कि बुधवार को ओडिशा के तट से एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इसका पहला सफल परीक्षण किया गया था। आज दूसरी बार भी यही से फिर से उसका दोबारा परीक्षण किया गया।
दिसंबर के महीने में तो अग्नि-5 समेत कई भारी-भरकम बैलेस्टिक से लेकर क्रूज मिसाइलों का सफलतापूर्वक परीक्षण कर भारत ने यह प्रमाणित कर दिया है कि मिसाइल के क्षेत्र में हम किसी से कम नहीं है। आज वीरवार को इसी कड़ी में डीआरडीओ ने यानी की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से अब्दुल कलाम द्वीप के एल सी 4 से सुबह 9:35 पर प्रलय नामक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
500 किलोमीटर तक प्रहार करने की ताकत
जमीन से जमीन पर प्रहार करने वाली यह कम दूरी का मिसाइल करीब 500 किलोमीटर तक प्रहार करने की ताकत रखती है तथा यह अपने साथ 1000 किलोग्राम वजन तक विस्फोटक ढोने की क्षमता रखती है तथा इसका वजन 5 टन है। सूत्रों की माने तो डीआरडीओ ने 2015 मार्च में इस मिसाइल का जिक्र किया था। अपने वार्षिक रिपोर्ट में यह बैलेस्टिक मिसाइल प्रलय है। चीन के बैलेस्टिक मिसाइलों का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है। प्रलय मिसाइल को जमीन के साथ-साथ कनस्टर से भी दागा जा सकता है।
इस मिसाइल को इस तरह से बनाया गया है कि यह दूसरे शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइलों की तुलना में ज्यादा घातक है यह इनिशियल गाइडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है। सॉलिड प्रोप्लेट फ्यूल है इस मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी सरकार या डीआरडीओ द्वारा शेयर नहीं किया गया है क्योंकि यह पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर बनी है।
रात को भी हमला करने में सक्षम
इस मिसाइल में रात को भी हमला करने की तकनीक लगाई गई है यानी कि दुश्मन के ठिकानों पर रात में भी हमला करके उन्हें बर्बाद कर सकता है। इस मिसाइल में इंफ्रारेड या थर्मल स्कैनर लगा है जो टारगेट को अंधेरे में खोज कर नष्ट कर सकता है। यह अपने हमले को सटीक निशाने के साथ-साथ ध्वस्त करने में पूरी तरह कामयाब होगा। इस मिसाइल में अत्याधुनिक साजों सामान से लैस किया गया है जो कि वर्तमान समय की मांग है।
यहां उल्लेखनीय है कि विदेशी देश चीन और पाकिस्तान भारत के मिसाइल परीक्षण का विरोध करते चले आ रहे हैं। इसके बावजूद भी भारत का डीआरडीओ इनकी फिक्र किए बिना अपने मिसाइलई कार्यक्रमों को जारी रखे हुए हैं। सूत्रों की माने तो आने वाले दिनों में और कई अत्याधुनिक मिसाइलों का भारत चांदीपुर के परीक्षण रेंज और अब्दुल कलाम द्वीप के परीक्षण रेंज से किए जाने की संभावना है। आज इसके परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ तथा आइटीआर से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौके पर मौजूद था। इसके पहले आपको बता दें कि भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मिसाइल के कल हुए परीक्षण को लेकर वैज्ञानिकों और डीआरडीओ के अधिकारियों को बधाई दी थी।
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Gulabi
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