बालासोर: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक टीम ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना के लिए आपराधिक लापरवाही के आरोपों के संबंध में मंगलवार को जांच शुरू की. अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा विशेषज्ञों की राय ले सकती है. संयुक्त निदेशक (विशेष अपराध) विप्लव कुमार चौधरी के नेतृत्व में सीबीआई के छह अधिकारियों की एक टीम मंगलवार को बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटनास्थल पर पहुंची. टीम के साथ रेलवे के अधिकारी भी थे. टीम ने पटरी और सिग्नल रूम का निरीक्षण किया. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई जल्द ही सहायक स्टेशन मास्टर एस बी मोहंती समेत बाहानगा स्टेशन पर मौजूद अधिकारियों और सिग्नल तथा ट्रैक की देखरेख करने वाले अन्य कर्मियों से पूछताछ शुरू करेगी. सीबीआई को जांच सौंपने के लिए कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से एक अनिवार्य अधिसूचना जारी होने के बाद, केंद्रीय एजेंसी ने मंगलवार दोपहर अपनी प्राथमिकी दर्ज की.
अधिकारियों ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करना सीबीआई जांच का शुरुआती बिंदु है क्योंकि एजेंसी इसके बिना कोई दस्तावेज या सामग्री एकत्र नहीं कर सकती, गवाहों से पूछताछ नहीं कर सकती, बयान दर्ज नहीं कर सकती या तलाशी नहीं ले सकती.
अधिकारियों को प्रारंभिक जांच में ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम' के साथ छेड़छाड़ का संकेत मिलने और दुर्घटना के पीछे ‘‘तोड़फोड़'' की आशंका जताए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम' के जरिए ट्रेन की मौजूदगी का पता लगता है.
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘सीबीआई ने दो जून को ओडिशा के बाहानगा बाजार में कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी से जुड़ी दुर्घटना पर रेल मंत्रालय के अनुरोध, ओडिशा सरकार की सहमति और फिर डीओपीटी, भारत सरकार के आदेश पर मामला दर्ज किया है.''
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है.
प्रक्रिया का पालन करते हुए, केंद्रीय एजेंसी ने तीन जून को राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) कटक द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337 (लापरवाह कृत्य से चोट पहुंचाना), 338 (चोट पहुंचाने वाला कृत्य, किसी की जान को खतरा), 304ए (लापरवाही के कारण हुई मौत) और 34 (समान मंशा), और रेलवे अधिनियम की धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 154 (लापरवाह कृत्य से जान को खतरे में डालना) और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली.
रेलवे दुर्घटना मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने पर उठ रहे सवालों के बीच सीबीआई के पूर्व निदेशक ए पी सिंह ने कहा, ‘‘हो सकता है इस मामले में सीबीआई के पास तकनीकी मुद्दों पर विशेषज्ञता नहीं हो, लेकिन वे रेलवे सुरक्षा विशेषज्ञों को साथ ले सकते हैं. जो जांच दल का हिस्सा बनेंगे और यह समझाने में सक्षम होंगे कि चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं और आपराधिक लापरवाही कहां हो सकती है.''
सिंह ने कहा कि सीबीआई सभी गवाहों से पूछताछ करेगी, घटनास्थल का दौरा करेगी और फॉरेंसिक तथा रेलवे सुरक्षा विशेषज्ञों की राय की मदद से सही निष्कर्ष पर पहुंचेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘सार्वजनिक धारणा के संदर्भ में भी, यह आवश्यक है कि आंतरिक लीपापोती के आरोपों से बचने के लिए स्वतंत्र एजेंसी जांच करे. सीबीआई का काम न केवल खामियों को उजागर करने का, बल्कि यह भी बताने का है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है. यह दृष्टिकोण सीबीआई को मामले की जांच के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाता है.''
प्राथमिकी में कहा गया है कि कई मौतें टक्कर और रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरने वाले तारों के टूटने से करंट लगने के कारण हुईं. अधिकारियों ने कहा कि ट्रेन दुर्घटना में कोच के पलटने से बिजली के खंभे टूट गए और ओवरहेड तार नीचे गिर गए.
प्रक्रिया के अनुसार, सीबीआई स्थानीय पुलिस के मामले को अपनी प्राथमिकी के रूप में फिर से दर्ज करती है और जांच शुरू करती है. केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच के बाद दाखिल आरोपपत्र में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है.
रविवार को, ओडिशा में पत्रकारों से बातचीत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था, ‘‘हमने हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है.''
रेलवे बोर्ड के सदस्य (ऑपरेशंस एंड बिजनेस डेवलपमेंट) ने चार जून को केंद्र को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की थी. ओडिशा सरकार ने सोमवार को पत्र के जरिए सीबीआई को जांच करने की सहमति दे दी.
मंगलवार को डीओपीटी ने आखिरकार जांच शुरू करने के लिए सरकार की हरी झंडी देते हुए सीबीआई को अनिवार्य अधिसूचना जारी की, जिसके बाद एजेंसी कार्रवाई में जुट गई और प्राथमिकी दर्ज की.
सीबीआई अधिकारियों के साथ आई फॉरेंसिक टीम ने भी सिग्नल रूम के कर्मचारियों से बात की और विभिन्न उपकरणों के उपयोग एवं उनके काम करने के तरीकों की जानकारी प्राप्त की. खुर्दा रोड मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) रिंकेश रॉय ने संदेह जताया है कि सिग्नल प्रणाली में संभवत: ‘छेड़छाड़' की गई थी.
दक्षिण पूर्वी रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आदित्य चौधरी ने कहा, ‘‘सीबीआई सभी पहलुओं की जांच करेगी. वह जानकारी एकत्र कर रही है और रेलवे इसमें पूरा सहयोग करेगा.''