ओडिशा

छोटी जाति होने के कारण अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे नहीं मिले

Bhumika Sahu
19 Aug 2022 8:51 AM GMT
छोटी जाति होने के कारण अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे नहीं मिले
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अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे नहीं मिले

भुवनेश्वर: भले ही समाज और सरकार की तरफ से धर्म और जाति के पक्षपात को मिटाने की लाख बातें की जाती हो, मगर वास्तविकता तो यह है कि जाति को लेकर होने वाला भेदभाव कभी समाप्त नहीं हो पाया है।ओडिशा के कोरापुट जिला से जातिवाद को लेकर पक्षपात का एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है।

दरअसल, ओडिशा के कोरापुट जिले के बैरागी मूत ग्राम निवासी मंगला परजा को छोटी जाति होने की भयावह सजा मिली। मंगला ने अपनी मां की मौत पर अंतिम संस्कार के लिए गांव के लोगों से सहायता की गुहार लगाई। गांव के लोगों ने छोटी जाति का ताना देकर अंतिम संस्कार में मदद करने से मना कर दिया। मंगला लाचार होकर मजबूरन पत्नी के साथ मिलकर अपनी मां कंधा दिया तथा अंतिम संस्कार किया। 6 महीने पहले मंगला परजा ने गांव के पड़ोस में दूसरे जाति के घर में खाना खा लिया, तत्पश्चात, गांव के लोगों में मंगला परजा और उसके पूरे परिवार को गांव से बाहर कर दिया। परजा को गांव से बाहर रहने की वजह से बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
मंगला ने बताया कि दूसरे जाति के घर में खाना खाने की वजह से हमें छोटी जाति बतलाकर गांव से बाहर कर दिया गया था, मेरी मां की मौत के बाद मैंने गांववालों से अंतिम संस्कार में सहायता करने लिए गुहार लगाई, मगर लोगों ने छोटी जाति कह कर सिर्फ ताना मारा और मदद करने से मुंह मोड़ लिया। मंगला ने कहा कि मैंने और मेरी पत्नी ने मां के पार्थिव शरीर को कंधा दिया तथा श्मशान पर ले जाकर अंतिम संस्कार किया। मंगला ने नम आंखों से कहा कि मुझे दूसरी जाति के घर में खाना खाने की खतरनाक सजा प्राप्त हुई है। स्थानीय अंचल अफसर सुरेश पटनायक ने कहा कि इस घटना की पूरी जानकारी अभी मेरे पास नहीं है, मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि मृतक महिला का बेटा मंगला परजा को समाज से बाहर किया गया था, स्थानीय लोगों के साथ बातचीत कर इसका हल निकला जाएगा, साथ ही प्रशासन की तरफ से मंगला परजा को आर्थिक मदद प्रदान किया जाएगा।


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