ओडिशा

40 के बोरे पर वापस मिल रहे 14 रुपये, क्या ये किसानों का शोषण?

Gulabi
18 Dec 2021 5:46 AM GMT
40 के बोरे पर वापस मिल रहे 14 रुपये, क्या ये किसानों का शोषण?
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किसानों को लैंपस में धान बेचने पर बोरा के एवज में मात्र 14 रुपये मिल रहे हैं
राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले में 15 दिसंबर से आठ ब्लॉक सुंदरगढ़, हेमगिर, टांगरपाली, लेफ्रीपाड़ा, सबडेगा, बालीशंकरा, बड़गांव व कुतरा में खरीफ धान की खरीद शुरू की गई है। जिले में 48 हजार 26 किसानों का पंजीकरण धान बेचने के लिए किया गया है एवं इसके लिए 135 संग्रह केंद्र बनाए गए हैं। बाजार में बोरा उपलब्ध नहीं होने के कारण मंडी खुलने से पहले किसानों को चिता होने लगी है। लैंपस व सहकारिता संस्था से किसानों को धान भरने के लिए बोरा नहीं मिल रहा है। धान जूट के बोरे में ही भरना है। किसान खुले बाजार से 40 रुपये की दर से बोरा खरीद रहे हैं जबकि किसानों को लैंपस में धान बेचने पर बोरा के एवज में मात्र 14 रुपये मिल रहे हैं।
मंडी हैंडलिग नियम के अनुसार, मंडी से मिल तक धान ले जाने के लिए बोरा विभाग की ओर से मुहैया कराया जाना चाहिए या किसान अपना बोरा देते हैं तो उसका पूरा दाम वापस करना चाहिए। राज्य सरकार की ओर से बोरा के एवज में लाखों रुपये खर्च किया जा रहा है पर किसान इसका लाभ पाने से वंचित हो रहे हैं। इतना ही नहीं धान खरीदने वाली संस्था, मिलर्स द्वारा बोरा के लिए किसानों का शोषण किया जा रह है। खुले बाजार में जूट व सूत के बोरे की कीमत 40 रुपये है। एक क्विंटल धान के लिए दो बोरे यानी 80 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। मंडी में बोरा का सात सौ ग्राम काटा जा रहा है एवं किसानों को बोरा के एवज में 14 रुपये मिल रहे हैं। पिछले साल 36 हजार 990 किसानों से जिले में 22 लाख 84 हजार 496 क्विंटल धान खरीदा गया था। किसानों को 48 हजार 600 खाली बोरा का दाम 30 रुपये के दर से दिया गया था। इस साल भी यही स्थिति है। इसका लाभ लेकर कोलकाता के एक बड़े व्यापारी के साथ विभाग की ओर से संपर्क किया जा रहा है। सोमवार को राजगांगपुर में कुछ मिलर्स प्रतिनिधि व सहकारिता संस्था के प्रतिनिधियों की गुप्त बैठक हुई थी जिसमें बोरा को लेकर चर्चा होने की बात कही जा रही है। बोरा की समस्या किसान व सहकारिता संस्था की बैठक में बार बार उठाया जाता है पर प्रशासनिक अधिकारी इस दिशा में कदम नहीं उठा रहे हैं।
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